दुनिया में भूखे लोगों की संख्या में तेजी से हो रहा इजाफा, इस संगठन ने दी ये चेतावनी

गेहूं के सबसे बड़े और चौथे सबसे बड़े निर्यातक के रूप में रूस और यूक्रेन मिलकर वैश्विक गेहूं व्यापार के 29 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार हैं.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 19, 2022, 08:54 AM IST
  • जानिए कितना पड़ेगा असर
  • थमने का नाम नहीं ले रहा है युद्ध
दुनिया में भूखे लोगों की संख्या में तेजी से हो रहा इजाफा, इस संगठन ने दी ये चेतावनी

जिनेवाः यूक्रेन-रूस में चल रहे युद्ध के बीच वैश्विक खाद्य सुरक्षा को और ज्यादा खतरा है, क्योंकि खाद्य कीमतें पहले से ही उच्च स्तर पर हैं. ये चेतावनी विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने दी.
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन के लिए डब्ल्यूएफपी के आपातकालीन समन्वयक जैकब केर्न ने एक ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस संघर्ष से दुनिया भर भूखों की संख्या में इजाफा हुआ है.

दुनिया भर में पड़ेगा गंभीर असर
विश्व में क्रमश: गेहूं के सबसे बड़े और चौथे सबसे बड़े निर्यातक के रूप में रूस और यूक्रेन मिलकर वैश्विक गेहूं व्यापार के 29 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार हैं. इसलिए, दोनों देश दुनिया भर के कई देशों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं.

तेल की कीमतों में भी इजाफा
केर्न ने कहा कि संघर्ष की शुरूआत के बाद से वैश्विक खाद्य और ईधन की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है. खाद्य और कृषि संगठन के खाद्य मूल्य सूचकांक के अनुसार, वे फरवरी 2022 में सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गए.

केर्न ने कहा कि 21 फरवरी से 15 मार्च तक गेहूं की कीमत में 24 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. उन्होंने कहा, "ये बढ़ोतरी स्थानीय खाद्य कीमतों को प्रभावित करेगी और इस कारण गरीब लोगों के लिए खाने को लेकर और मुश्किल बढ़ेगी.

भारत के ऊर्जा खरीदने का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए'

भारत के वैध तरीके से ऊर्जा खरीदने का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए और जो देश तेल के मामले में आत्मनिर्भर हैं या जो स्वयं रूस से तेल आयात करते हैं वे प्रतिबंधात्मक व्यापार की वकालत नहीं कर सकते हैं. सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को यह कहा. उन्होंने कहा कि भारत प्रतिस्पर्धी ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और उसने सभी तेल उत्पादकों की पेशकश का स्वाIत किया है, भू-राजनैतिक घटनाक्रम ने देश की ऊर्जा सुरक्षा पर उल्लेखनीय चुनौती पेश की 

भारत की इस रुख को लेकर आलोचना की गई है कि उसने रूस से रियायती दर पर कच्चा तेल खरीदने के लिए रास्ते खुले रखे हैं. इसके बाद उक्त टिप्पणी आई है. रूस ने पिछले सप्ताहांत यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के जवाब में रूसी तेल और गैस के आयात पर अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भारत और अन्य देशों को सस्ता तेल देने की पेशकश की थी. 

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