श्रीनगर: देश के पूर्व गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद ने 1989 के अपने अपहरण कांड को लेकर बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने अदालत में सुनवाई के दौरान कहा कि मेरा यासीन मलिक ने ही मेरा अपहरण किया था.
यासीन मलिक ने 3 दोस्तों संग मिलकर किया था अपहरण
मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद शुक्रवार को सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष पेश हुईं. इस दौरान उन्होंने जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक और तीन अन्य की पहचान अपने अपहरणकर्ताओं के रूप में की. यह पहली बार था, जब रुबैया को मामले में अदालत में पेश होने के लिए कहा गया था. अपहरणकर्ताओं ने रुबैया को पांच आतंकवादियों की रिहाई के बदले आजाद किया था. सीबीआई ने तमिलनाडु में रहने वाली रुबैया को अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में सूचीबद्ध किया है.
1990 के दशक में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी. प्रतिबंधित संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) का प्रमुख यासीन मलिक इस मामले में एक आरोपी है. उसे हाल ही में आतंकवाद के वित्त पोषण से जुड़े एक मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.
रुबैया को मुक्त करने के बदले में छुड़वाए थे 5 आतंकी
जम्मू-कश्मीर में 90 के दशक में आतंकवाद अपने चरम पर था. तब केंद्र में भाजपा और वाम दलों के समर्थन से वीपी सिंह की सरकार चल रही थी. उस सरकार में गृह मंत्री का पद मुफ्ती मोहम्मद सईद संभाल रहे थे. उनकी बेटी का अपहरण कुछ आतंकियों ने कर लिया था. 1989 में केंद्रीय गृहमंत्री की बेटी के अपहरण की खबर पूरे देश के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई.
गृहमंत्री की बेटी को छुड़ाने के लिए सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी. आतंकियों ने अपने 5 साथी जेल से छोड़ने की कठिन शर्त रख दी और अंत तक अपनी मांग पर अड़े रहे. इसके बाद रुबैया को आतंकियों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए सरकार को 5 आंतकवादियों को रिहा करना पड़ा. इस पूरे कांड में जेकेएलएफ का सरगना यासीन मालिक मास्टरमाइंड था जो घाटी में अलगाववाद फैला रहा था. इस घटना के डेढ़ महीने बाद 25 जनवरी 1990 को यासीन मलिक व जेकेएलएफ के अन्य आतंकियों ने श्रीनगर में वायुसेना के जवानों पर अंधाधुंध फायरिंग की थी. इसमें चार की मौत हो गई, जबकि 40 अन्य घायल हो गए थे.
पिछले साल जनवरी में सीबीआई ने विशेष सरकारी वकील मोनिका कोहली और एस. के. भट की मदद से मलिक सहित 10 लोगों के खिलाफ रुबैया अपहरण मामले में आरोप तय किए थे जो कश्मीर घाटी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ. यासीन मलिक के साथियों ने ही उसके शामिल होने की बात कुबूली थी.
उम्रकैट की सजा काट रहा यासीन मलिक
25 मई को प्रतिबंधित संगठन जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक को एनआईए कोर्ट ने 2017 के टेरर फंडिंग मामले में दोहरी उम्रकैद की सजा सुनाई है. देश में कई जगहों पर उसे फांसी की सजा की भी मांग कर रहे थे लेकिन उसे कोर्ट से उम्र कैद की सजा ही मिली.
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