उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में दिखे चार हिम तेंदुए

देश के उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में एक दुर्लभ नजारा देखने को मिला. वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर ने अपने कैमरे में चार स्नो लेपर्ड को कैद किया जिसके बाद से पूरे देश-विदेश में इसे लेकर चर्चा हो रही है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 31, 2020, 01:39 PM IST
    • हिम तेंदुआ को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने लुप्तप्राय जानवर की श्रेणी में रखा है
    • स्नो लेपर्ड ज्यादातर 3,000-4,500 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय के क्षेत्रों में पाए जाते हैं
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में दिखे चार हिम तेंदुए

देहरादून: हिम तेंदुओं को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के गोरी घाटी में वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) के कैमरे में कैद किया गया है. यह संस्था हिम तेंदुआ के संरक्षण के लिए उत्तराखंड में काम कर रही है. इस संस्था के लोग मुख्य रूप से क्षेत्र के लोगों को हिम तेंदुओं के संरक्षण को लेकर जागरु कर रही है. अभी तक चार तेंदुओं को इस घाटी में देखा गया है और इस क्षेत्र में ज्यादा हिम तेंदुओं की संभावना भी कम जताई जा रही है. देश में 70 प्रतिशत हिम तेंदुआ संरक्षित और सुरक्षित इलाकों से बाहर ही मिले हैं. हिम तेंदुआ आम तौर पर तीन हजार मीटर या इससे ऊंची जगहों पर देखे जाते हैं. 

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क्यों कमी आ रही है हिम तेंदुओं की संख्या में
हिम तेंदुओं की संख्या में लगातार आ रही कमी की वजह अवैध शिकार और उनके रहने वाले क्षेत्रों में आ रही कमी को माना गया है जिस वजह से इनके अस्तित्व पर खतरा आ गया है. स्नो लेपर्ड ज्यादातर 3,000-4,500 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय के क्षेत्रों में पाए जाते हैं. 

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क्या होता है लुप्तप्राय श्रेणी
बता दें कि हिम तेंदुआ को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने लुप्तप्राय जानवर की श्रेणी में रखा है. लुप्तप्राय श्रेणी का मतलब होता है ऐसे जीवों की आबादी जिनके लुप्त होने की संभावना काफी अधिक है. किसी वजहों या पर्यावरण व परभक्षण मानकों के चलते या तो उनकी संख्या में कमी आ रही है या तो उनके जीवनयापन में संकट की स्थिति पैदा हो गई है. जिसके लिए पर्यावरण और वनों की कटाई को भी एक वजहों में गिना जाता है. IUCN ने 2006 में विभिन्न प्रजातियों के नमूने व श्रेणी के आधार पर सभी जीवों के लिए लुप्तप्राय प्रजातियों  की प्रतिशतता की गणना 40 फीसदी के रुप में की है. और किसी भी प्रजाति के लिए संरक्षण की स्थिति तब पैदा होती है जब उस प्रजाति के जीवित न रहने की या विलुप्त होने की संभावना पैदा हो जाती है. और इसका आंकलन कई कारकों के आधार पर किया जाता है.

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