नई दिल्ली: नासा के हवाले से खबर आ रही है कि थ्वायटेस (Thwaites) नाम का ग्लेशियर बड़ी ही तेजी से पिघल रहा है. ये कोई मामूली ग्लेशियर नहीं बल्कि ये आकार में गुजरात जितना बड़ा है.
दुनिया पर मंडराया बड़ा खतरा
थ्वायटेस (Thwaites)अंटार्कटिका के पश्चिमी इलाके में स्थित है.पिछले 30 सालों में इसके पिघलने की दर दोगुनी हो गई है. यह समुद्र के अंदर कई किलोमीटर की गहराई तक डूबा रहता है. समुद्र के अंदर इस ग्लेशियर की चौड़ाई 468 किलोमीटर है. इसमें से लगातार बड़ी-बड़ी बर्फ की चट्टानें टूट रही हैं.
वैज्ञानिकों ने किया है ग्लेशियर के अंदर छेद
इस ग्लेशियर के बारे में पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने इसके अंदर छेद किया है. इंग्लैण्ड की यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सटर के प्रोफेसर अली ग्राहम ने बताया है कि इस प्रयोग से ही पता चला कि यह ग्लेशियर कितनी तेजी से पिघल रहा है. समुद्र के अंदर इस ग्लेशियर की बड़ी चट्टानें पिघलकर लगातार मिल रही हैं. जिसकी वजह से पूरी दुनिया के तटीय इलाकों को खतरा पैदा हो गया है.
भारी तबाही का कारण बन सकता है थ्वायटेस का पिघलना
थ्वायटेस (Thwaites) ग्लेशियर लगातार पिघल रहा है. जिसकी वजह से यह कमजोर होकर टूट भी सकता है. लेकिन अगर ऐसा हुआ तो पूरी दुनिया के तटीय इलाकों में तबाही मच जाएगी. क्योंकि इसके टूटने से दुनियाभर के समुद्रों का जलस्तर 2 से 5 फीट बढ़ जाएगा. अगर यह ग्लेशियर साल 2100 तक पूरा पिघल गया तो 12 विकासशील देशों की करीब 9 करोड़ आबादी को विस्थापन के लिए मजबूर होना पड़ेगा. जिसकी वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भारी असर पड़ेगा.
पहले से बढ़ती आबादी की मार झेल रहे स्थलीय इलाकों में संसाधनों की भारी कमी हो जाएगी.
थ्वायटेस के पिघलने से पूरी दुनिया के सभी समुद्रों का जलस्तर अगले 50 सालों में 2 फीट और 70 सालों में करीब 5 फीट तक बढ़ जाएगा.
थ्वायटेस(Thwaites)को डूम्स-डे ग्लेशियर के नाम से भी जाना जाता है. यानी वो ग्लेशियर जो कयामत वाले दिन पिघलेगा. लेकिन कौन जानता है कि ये ग्लेशियर कयामत का कारण भी बन सकता है.
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