समाज को ऐसे IAS अधिकारियों की है जरूरत जो भर सके भूखों का पेट

गांधी जी ने कहा था कि हमारे पास काफी संसाधन और अनाज हैं, सबकी जरूरतों को पूरा करने के लिए, लेकिन बर्बाद करने पर तुले तो अनाज का दाना भी नहीं. गांधी जी ने यह संसाधनों की हो रही बर्बादी को रोकने के लिए कहा था. इसी बात को चरितार्थ किया है कोटा के एक युवा आईएएस अधिकारी ने. उन्होंने दिखाया कि समाज में बदलाव तब आता है जब आप खुद के अंदर बदलाव लाते हैं.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 29, 2019, 06:24 PM IST
    • भारत में खाने की इतनी बर्बादी की भर जाए करोड़ों की आबादी का पेट
    • एनजीओ से खाना बंटवाने के लिए पहले ही कर लिया था संपर्क
    • अनंत ने कहा शादियों के सीजन में होती है खूब बर्बादी
समाज को ऐसे IAS अधिकारियों की है जरूरत जो भर सके भूखों का पेट

जयपुर:  हीरो रियल लाइफ में कुछ कर गुजरने वाले बनते हैं. रील लाइफ में तो बस अदाकारी ही की जाती है. यह सीख कोटा के एक नौजवान आईएएस अधिकारी ने साबित कर के दिखा दिया. आईएएस अनंत जैन ने एक अनूठी पहल की. उन्होंने बहन की शादी में बचा खाना जरूरतमंदों को बंटवाया. कई रिपोर्टों में इसका जिक्र हुआ है कि शादी या किसी भी तरह के कार्यक्रम के बाद जितना खाना बर्बाद होता है. उससे सड़क पर भूखे पेट सोने वाले कई लोगों के पेट भर जाएं. इस बात का इल्म नौजवान आईएएस अधिकारी को है. तभी तो उन्होंने खाना बर्बाद करने से बेहतर भूखों का पेट भरने का मन बनाया.

नौजवान आईएएस का कहना है कि आज भी कई लोग खाने के अभाव में रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड पर भूखे ही सो जाते हैं.  शादी में बचा हुआ खाना फेंकने से लाख गुणा अच्छा है कि ये बचा हुआ खाना उनके काम मे आ जाए जो लोग रेलवे स्टेशन ,बस स्टैंड पर भूखे सोते हैं. अनन्त जैन कोटा के तलवंडी के रहने वाले है. 2018 बैच के आईएएस अनन्त फिलहाल सिक्किम के गंगटोक में असिस्टेंट कलेक्टर के पद पर तैनात हैं. 

यह भी पढें. सोशल मीडिया और खेती के मेल से लाखों कमा रहा है गुजरात का ये युवक
 
भारत में खाने की इतनी बर्बादी की भर जाए करोड़ों की आबादी का पेट

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल तकरीबन 67 मिलियन टन खाने की  बर्बादी होती है जिसकी कीमत तकरीबन 92,000 हजार करोड़ के आसपास होती है. देखा जाए तो यह इतना भोजन है कि इससे पूरे बिहार की आबादी का पेट भर जाए. रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि हर साल गेहूं की 21 मिलियन टन तक की बर्बादी होती है, यह उतना है जितना आस्ट्रेलिया एक साल में उत्पादन करता है. बीएमसी की रिपोर्ट कहती है कि मुंबई हर दिन तकरीबन 9400 मेट्रिक टन खाना बर्बाद करती है. दिल्ली भी कुछ खास पीछे नहीं. दिल्ली में हर दिन तकरीबन 9000 मेट्रिक टन सॉलिड चीजों की बर्बादी होती है. 

एनजीओ से खाना बंटवाने के लिए पहले ही कर लिया था संपर्क

अनन्त जैन के पिता इंश्योरेंस कंपनी में अधिकारी हैं. वहीं उनकी मां केंद्रीय विद्यायल में टीचर हैं. अनन्त की बहन अंबिका जैन एक निजी कम्पनी में एचआर हैं. अम्बिका की शादी मुंबई में हुई है. गुरुवार को सिविल लाइन स्थित सुखधाम कोठी में अम्बिका का आशीर्वाद समारोह था. मेहमानों के लिए लजीज पकवान बनवाए गए थे. अनन्त ने बताया कि उन्होंने पहले ही कोटा की एक राधे नाम की एनजीओ से संपर्क कर लिया था कि शादी में बचा हुआ खाना उनको बंटवाना है.

शादी में मेहमान भी खूब आये लेकिन करीब 100 लोगों का खाना बच गया. अनन्त ने वादे के मुताबिक एनजीओ संचालक को फोन करके बुलाया और खाना एनजीओ को दिया. एनजीओ के सदस्यों ने खाना ले जाकर रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, रैन बसेरा और फुटपाथ पर भूखे सो रहे लोगों मे बंटवाया.

अनंत ने कहा शादियों के सीजन में होती है खूब बर्बादी

अनन्त ने बताया कि शादियों के सीजन में लोगो को एक साथ कई जगह से निमंत्रण आते हैं, लेकिन सभी जगह जाना सम्भव नहीं हो पाता.  ऐसे में कई शादी वाले घरों में खाना बच जाता है. लोग उसे फेंक देते हैं. उन्हें ऐसा करने के बजाय पहले से किसी संस्था या एनजीओ से बात करके रखनी चाहिए ताकि शादी में बचा हुआ खाना वो आकर ले जायें. ऐसा करने से जरूरतमन्दों की मदद अपने आप हो जाएगी. आपको कहीं जाना भी नहीं पड़ेगा. क्योंकि आज भी कई लोग देश मे बिना खाये भूखे हीं सो जाते हैं.

यह भी पढ़ें. माइक्रोमैन मुकुल डे से मिलिए, जिनकी कारीगरी के कायल हैं खुद राष्ट्रपति

ट्रेंडिंग न्यूज़