...फिर इन सभी देशों को ताकतवर कहलाने का हक किसने दिया?

करोड़ों सैनिक, सुपरसोनिक हथियारों का जखीरा, तोपें, मिसाइलें, टैंक, कॉम्बैट एयरक्राफ्ट और न जाने क्या-क्या कितनी अधिक संख्या से लैस होकर कई मुल्क खुद को ताकतवर बताते हैं. लेकिन सभी ने अपने-अपने घुटने टेक दिए हैं, सब के सब बेबस हैं. तो भला उन्हें ताकतवर कहलाने का हक किसने दे दिया?

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 27, 2020, 07:18 AM IST
    1. एक वायरस के आगे बेबस हो गई पूरी दुनिया
    2. कोई काम नहीं आया हथियारों का जखीरा
    3. मिसाइलें और तोपें धरी की धरी रह गईं
    4. तो फिर खुद को क्यों कहते हैं ताकतवर देश?
...फिर इन सभी देशों को ताकतवर कहलाने का हक किसने दिया?

नई दिल्ली: दुनिया भर में कोरोना का कहर जारी है. पूरे विश्व में अब तक 22 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. अमेरिका में बीते 24 घंटों में 247 लोगों की जान गई. इटली में कुल 8000 और स्पेन में 4000 लोग कोरोना के शिकार बन गए हैं.

अदृश्य दुश्मन के सामने बेबस हो गई दुनिया

कैसे दुनिया के सभी सुपरपावर जिनके पास अरबों खरबों के घातक हथियार और विशाल सेनाएं हैं, वो एक वायरस के आगे बेबस हो रहे हैं.

इन देशों की सैन्य ताकत देखिए

रैंक की बात करें तो अमेरिका नंबर वन है, फिर रूस दूसरे नंबर पर आता है, इसके बाद चीन तीसरे नंबर पर है फिर चौथे नंबर पर भारत है और सातवें नंबर पर फ्रांस है.

कुल सैनिकों की बात करें तो अमेरिका के पास चौदह लाख सैनिक हैं, रूस में दस लाख तेरह हज़ार से ज्यादा सैनिक, चीन के पास 21 लाख 83 हज़ार सैनिक भारत के पास 14 लाख 44 हज़ार सैनिक और फ्रांस के पास ढाई लाख से ज्यादा सैनिक हैं.

कॉम्बैट एयरक्राफ्ट की बात करें तो अमेरिका के पास दो हज़ार से ज्यादा, रूस के पास 873 चीन के पास 12 से ज़्यादा भआरत के पास 500 से अधिक और फ्रांस के पास ढाई सौ से ज्यादा कॉम्बैट एयरक्राफ्ट हैं, अटैक हेलिकॉप्टर की बात करें तो अमेरिका के पास 950 से अधिक रूस के पास पांच सौ से अधिक चीन के पास ढाई सौ से अधिक भआरत के पास 23 और फ्रांस के पास 62 अटैक हेलिकॉप्टर है.

टैंक की बात करें तो अमेरिका के पास 62 सौ से अधिक, रूस के पास 12 हजार 950 चीन के पास 35 सौ भारत के पास 42 सौ से ज्यादा और फ्रांस के पास 528 टैंक है.

जंगी जहाज की बात करें तो अमेरिका के पास 715 रूस के पास 742 चीन के पास 290 भारत के पास 140 जंगी जहाज हैं... परमाणु बमों की बात करें तो अमेरिका के पास 6185 रूस के पास 6490 चीन के पास 290 भारत के पास 140 और फ्रांस के पास 300 परमाणु बम हैं.
 
मिलिट्री पर सालाना ख़र्च देखें तो अमेरिका का खर्च 50 लाख करोड़ रूस का खर्च 4.5 लाख करोड़ चीन का खर्च 18 लाख करोड़ भारत का खर्च 4.7 लाख करोड़ और फ्रांस का सालाना मिलिट्री पर खर्च 4.5 लाख करोड़ है...

इसे भी पढ़ें: शुरू हो गया तीसरा विश्व युद्ध! "अदृश्य दुश्मन" दुनिया को अकेले कर देगा तबाह?

इतने सारे सैन्य तामझाम के बावजूद भी चीन अमेरिका और फ्रांस में एक वायरस से हाहाकार है. हर कोई एक वायरस से पस्त है. क्या किसी ने ये सपने में भी सोचा था कि सैन्य संपन्न देशों को एक अदृश्य वायरस के सामने घुटने टेकने पड़ेंगे?

इसे भी पढ़ें: कोरोना की गिरफ्त में पूरी दुनिया, तो क्या सचमुच होने वाला है महाविनाश?

इसे भी पढ़ें: दो महीने में भारत में आ सकते हैं 13 लाख मामले

ट्रेंडिंग न्यूज़