नई दिल्ली: इतिहास में कई ऐसी प्रेम कहानियां जिनका आधुनिक समाज पर भी गहरा प्रभाव है. प्यार इंसान को ईश्वर द्वारा मिला सबसे अनूठा उपहार है जिसकी साम्यता किसी चीज से नहीं हो सकती है. इस समय दुनिया भर में वैलेंटाइन सप्ताह मनाया रहा है. लव बर्ड्स अपने साथी को खुश रखने और हमेशा साथ निभाने का वादा कर रहे हैं.
अनोखी है अर्जुन और सुभद्रा की प्रेम कहानी
द्वापर युग में कई ऐसी दिव्य प्रेम कहानियों का वर्णन मिलता है जिनसे आज की पीढ़ी बहुत कुछ सीख सकती है. भगवान कृष्ण- रुक्मिणी, अर्जुन- सुभद्रा, अभिमन्यु- उत्तरा और शांतनु- सत्यवती समेत कई ऐसी प्रेम कहानियां जिनको इतिहास में हमेशा याद किया जाता है. इन्हीं में से एक है अर्जुन और सुभद्रा की प्रेम कहानी.
रोचक थी अर्जुन और सुभद्रा की पहली मुलाकात
एक बार सभी यदुवंशी रैवतक पर्वत पर बहुत बड़ा वार्षिक उत्सव मना रहे थे. इस उत्सव में बहुत से लोग शामिल हुए हैं तथा हजारों की संख्या में रत्नों तथा अपार संपत्ति का दान किया जा रहा था . इसमें बालक, स्त्रिया ,वृद्धजन सभी लोग बड़े अच्छे से तैयार होकर पहुंच गए थे. जंगल में सुभद्रा और अर्जुन की पहली मुलाकात शिकार खेलते समय हुई थी. दोनों ने एक साथ एक हिरन का शिकार किया. हिरन के शरीर पर बाण लगे हुए थे. सुभद्रा और अर्जुन एक दूसरे से इस बात पर बहस कर रहे थे कि ये शिकार उन दोनों ने किया है. आखिर में अर्जुन को पीछे हटना पड़ा.
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इसके बाद उत्सव में हुई मुलाकात
उत्सव में श्री कृष्ण के सभी भाई बहन तथा अन्य यदुवंशी पहुंचे तथा अपनी पत्नियों के साथ इस शोभा उत्सव का आनंद ले रहे थे. तभी इस उत्सव में कृष्ण और अर्जुन एक दोस्त की भांति साथ में घूम रहे थे वहीं पर कृष्ण तथा बलराम की बहन सुभद्रा भी थी, सुभद्रा को देखकर अर्जुन मोहित हो गए और उसे एक टक देखते ही रहे इस बात को श्री कृष्ण ने जान लिया और इसी तरह से अर्जुन और सुभद्रा के बीच प्रेम का अंकुर फूटा.
बलराम दुर्योधन से कराना चाहते थे सुभद्रा का विवाह
अर्जुन भगवान श्री कृष्ण के सबसे प्रिय सखा थे. इसके बावजूद भी अर्जुन को अपना प्रेम पाने के लिये बहुत मशक्कत करनी पड़ी. दरअसल बलराम ने अपनी बहन सुभद्रा का स्वयंवर कराने की योजना बनाई. बलराम अपनी बहन का विवाह दुर्योधन से करवाना चाहते थे क्योंकि दुर्योधन एक बहुत ही बड़ा गदाधारी योद्धा था और बलराम के सबसे चहेता शिष्य था. जब ये बात श्रीव कृष्ण को पता चली तब उन्होंने अर्जुन सुभद्रा को मिलाने का अनोखा रास्ता निकाला.
श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया सुभद्रा का हरण करने का सुझाव
श्री कृष्ण जानते थे कि बलराम भैया के हठ के आगे उनकी नहीं चलेगी इसलिये उन्होंने अर्जुन को सुभद्रा का हरण करने का सुझाव दिया. श्री कृष्ण ने सुभद्रा को अपनी एक योजना के बारे में बताया. श्री कृष्ण जानते थे कि सुभद्रा अर्जुन से प्रेम करती है.
खुद श्री कृष्ण ने पूरी रणनीति तैयार की और सुभद्रा का हरण करने के लिये अर्जुन को पूरी मदद करने का आश्वासन दिया. श्री कृष्ण जानते कि दुर्योधन दुराचारी है और उसके साथ सुभद्रा कभी खुश नहीं रह सकतीं. हालांकि सुभद्रा इसके लिए तैयार नहीं हुई थी क्योंकि वह यह सोचती थी कि यह एक प्रकार का पाप होगा और इससे बड़े भाई बलराम का नाम यदुवंशियों में खराब होगा परंतु जब श्री कृष्ण के कहने पर वे तैयी हो गईं.
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श्री कृष्ण की योजना के मुताबिक जब सुभद्रा गौरी मंदिर पूजा के लिए जाए तो अर्जुन वहीं से सुभद्रा का अपहरण कर ले और रथ का सारथी सुभद्रा को ही बनाए. श्री कृष्ण के कहे अनुसार ही दोनों ने किया. अंत में जब बलराम बहुत क्रधित हुए तो श्री कृष्ण ने उन्हें समझा कर शांत कर दिया और अंत में दोनों का विधि विधान के साथ विवाह हुआ.
अर्जुन एक राज पुत्र थे लेकिन फिर भी उन्हें सुभद्रा को पाने के लिये बहुत मेहनत करनी पड़ी. यहां तक कि बलराम जी उन पर इतना क्रोधित हुए थे कि वे उनका वध तक कर देना चाहते थे लेकिन बाद में श्री कृष्ण की तरकीब से वे बच पाए. इस वैलेंटाइन वीक में ये कहानी बहुत खास है. शायद ये इतिहास की एकलौती ऐसी सहानी है जिसमें खुद भाई ने अपनी बहन को उसके प्रेमी तक पहुंचाया.
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