नई दिल्लीः Valentine Day का खुमार चढ़ा हुआ है. प्यार-प्यार प्यार हो रहा है. लेकिन आज-कल का प्यार भी रफ-टफ हो चला है. जिस स्पीड से दो लोग एक-दूसरे के पास आते हैं, दोगुनी स्पीड से निकल भी लेते हैं. बस छोड़ जाते हैं एक सवाल कि प्यार क्या होता है, कैसे होता है?
इस सवाल का जवाब आपने बॉलीवुड में तो कई दफा सुना होगा लेकिन और पीछे चलिए. इतना कि जहां किसी पीपल के पेड़ तले बाबा कबीर कुछ कह रहे हैं. उनसे सुनिए वो प्यार की तमाम Situation पर क्या कह रहे हैं.
प्यार क्या है?
16-17 की बाली उमरिया आते-आते ये सवाल और ख्याल मन में आने लगता है. यह वो वक्त होता है जब बिना कुछ जाने-कुछ समझे आसमान तक उड़ जाने को जी चाहता है. आज के निब्बा-निब्बी हों या बीते जमाने के छोरे-छोरियां, कबीर सबके मन के बात जानते थे.
उन्होंने तभी बता दिया कि ये मन में जो बगूले उठ रहे हैं, इन्हें संभाल कर रखो. आग की आंच और तलवार की धार सहना आसान है, लेकिन प्रेम होना और इसे बराबरी से निभा ले जाने बहुत कठिन है.
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क्या अब भी प्यार बाकी है?
प्यार के खूबसूरत रास्ते पर अक्सर ये नाजुक मोड़ आ ही जाता है. कई Couple ऐसा सोचने लगते हैं कि क्या वो अब भी मुझसे प्यार करता/करती है? जब भी यह सवाल दिलो-दिमाग में आए तो कबीर बाबा की बात सुनिए. वह कहते हैं कि प्रेम कभी पुराना नहीं पड़ता है.
अगर प्यार सच्चा है तो कभी भी बोरिंग नहीं होता. कबीर कहते हैं कि सच्चा प्यार पत्थर की तरह होता है. सौ साल तक भी बारिश में भीगता रहे तो भी उसकी आग लगाने की ताकत नहीं जाती. दो पत्थर रगड़ खाएंगे तो चिंगारी ही निकलेगी.
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जब प्यार किया तो डरना
प्यार करने वाले सिर्फ प्यार करते हैं. फिर वे जमाने और जहां के नाम पर नहीं डरते हैं. प्यार में अब्बा नहीं मानेंगे जैसी बातें नहीं होतीं. प्यार करने वाले प्यार करना भी जानते हैं, प्यार निभाना भी और प्यार के लिए मनाना भी. अगर ऐसे है तो प्यार है, ऐसा नहीं है तो प्यार नहीं है.
Simple. कबीर कहते हैं कि प्रेम के राह में पैर रखने वाले को अपने सिर काटने का डर नहीं होता. उसे स्वप्न में भी भ्रम नहीं होता और उसके पुनर्जन्म का अंत हो जाता है.
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प्यार पैसा-रुतबा नहीं देखता
अगर आप नीचे फूलों की दुकान ऊपर गोरी का मकान देखकर या फिर ये सोच कर प्यार कर रहे हैं कि अकेली बेटी है सब मेरा होगा. या फिर आप ये सोच रही हैं कि मस्त सरकारी नौकरी है. Life Set है तो रुक जाइए. ये प्यार नहीं है. ये व्यापार है. मौका परस्ती है.
प्यार में इसकी कोई जगह नहीं है. कबीर कहते हैं कि प्रेम का प्याला केवल वही पी सकता है जो अपने सिर का बलिदान करने को तैयार हो. लालची कभी बलिदान नहीं दे सकता, भले वह कितना भी प्रेम-प्रेम चिल्लाता हो.
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क्या प्यार को खरीद सकते हैं
प्यार को खरीदा नहीं जा सकता है. प्यार को बेचा भी नहीं जा सकता है. अगर आप सोचते हैं कि है घर, है पैसा, है गाड़ी और लड़की हुई हमारी तो Sorry बाबू, आप गलत सोचते हैं. कबीर कहते हैं कि प्रेम न तो खेत में पैदा होता है और न ही बाजार में बिकता है.
राजा या प्रजा जो भी प्रेम का इच्छुक हो वह अपना सब कुछ त्याग करके, घमंड छोड़ कर प्रेम को पा सकता है.
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