कोरोना से महाराष्ट्र को बचाने के बजाय सियासत कर रही शिवसेना सरकार

पूरे देश को कोरोना वायरस से बचाने का संघर्ष इस समय सभी सरकारें कर रही हैं लेकिन महाराष्ट्र में कोरोना का संक्रमण लगातार फैलने के बावजूद शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार सियासत कर रही है.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 19, 2020, 11:37 AM IST
    • मजदूरों की दिखावटी चिंता
    • केंद्र सरकार पर मजदूरों की समस्याओं का ठीकरा फोड़ा
    • पाकिस्तानी हिंदुओं से जलन
कोरोना से महाराष्ट्र को बचाने के बजाय सियासत कर रही शिवसेना सरकार

मुंबई: भारत में कोरोना वायरस के संक्रमित मरीजों की संख्या 1 लाख को पार कर गयी है. महाराष्ट्र भारत में सबसे अधिक प्रभावित है. इस कठिन संकट के समय में भी जिम्मेदार लोग सियासत करने से बाज नहीं आ रहे हैं. शिवसेना के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार को इस समय कोरोना से मुकाबला करना चाहिये क्योंकि महाराष्ट्र को इस महा संकट से निकालने की जिम्मेदारी सत्ताधारी दल की है और शिवसेना इस समय केंद्र सरकार पर निराधार राजनीतिक बयानबाजी कर रही है.

मजदूरों की दिखावटी चिंता

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में केंद्र सरकार पर मजदूरों की समस्याओं का ठीकरा फोड़ा है. सच्चाई ये है कि मजदूरों को समुचित व्यवस्था देने में महाराष्ट्र सरकार नाकाम रही इसलिये मजबूरी प्रवासी मजदूर पलायन करने को विवश हुए. अपनी गलती को स्वीकार करने के बजाय  शिवसेना केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है.

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सामना में क्या लिखा?

आपको बता दें कि शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के माध्यम से अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने की कोशिश की है. सामना में लिखा गया है कि प्रवासी मजदूर का पैदल चलना और उसकी परेशानी कायम है. महाराष्ट्र सहित देश के कई हिस्सों से जब ये मजदूर उत्तर प्रदेश के लिए रवाना हुए तब उन्हें केंद्र सरकार द्वारा नहीं रोका गया. उनकी व्यवस्था नहीं की गई. जब ये लाखों मजदूर उत्तर प्रदेश की सीमा में पहुंचे तो वे वहां फंस गए. उन्हें उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश की अनुमति नहीं देने के आदेश हैं.

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पाकिस्तानी हिंदुओं से जलन

शिवसेना ने सामना की संपादकीय में पाकिस्तान में प्रताड़ित हिंदुओ पर शर्मनाक बयान दिया है. इस कथन से शिवसेना के झूठे और छद्म हिंदुत्व का पता चलता है कि किस तरह सत्ता के लालच में शिवसेना विचारधारा से पलट गई. सामना में लिखा गया कि आज पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक हिंदुओं का स्वागत करनेवाली ये सरकारें पड़ोसी राज्यों से आए अपने ही भाइयों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं. उक्त बयान से शिवसेना के दोहरेपन का पता चलता है.

वित्तमंत्री ने भी साधा निशाना

उल्लेखनीय है कि  वित्तमंत्री के पेश किए पैकेज पर निशाना साधते हुए सामना में लिखा, 'शिक्षण संस्थान कब खुलेंगे? कामगार काम पर कब लौटेंगे?निर्मलाताई रोज किसी न किसी को पैकेज देने की घोषणा करने के लिए दैनिक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही हैं. हालांकि जिस दिन ये पैकेज लोगों तक पहुंचेगा, वही असली साबित होगा. प्रवासी मजदूरों के पैर बुरी तरह से घायल हैं और उस पर वे गंभीर नहीं है'.

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