क्या सोनिया के सियासी शत्रु रहे शरद पवार को मिलेगी UPA की पावर?

शरद पवार को UPA का अध्यक्ष बनाया जा सकता है. सूत्रों के हवाले से ये जानकारी सामने आई है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कई दल आने को तैयार नहीं है. ऐसे में सोनिया गांधी के रिटायर होने के बाद शरद पवार उनकी जगह ले सकते हैं..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 10, 2020, 08:43 PM IST
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क्या सोनिया के सियासी शत्रु रहे शरद पवार को मिलेगी UPA की पावर?

नई दिल्ली: ऐसी जानकारी ये सामने आ रही है अब शरद पवार (Sharad Pawar) को UPA की कमान सौंपी जा सकती है. हाल के दिनों में कई वरिष्ठ नेताओं ने नेतृत्व में बदलाव के लिए कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखे हैं, महाराष्ट्र की राजनीति के दिग्गज व्यक्ति एनसीपी प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) UPA अध्यक्ष की कुर्सी के लिए सबसे आगे निकल सकते हैं. 

क्या पवार को मिलेगी UPA की कमान?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने यूपीए (UPA) प्रमुख के रूप में जारी रखने के लिए अनिच्छा व्यक्त की है और उन्हें उम्मीद है कि उनके स्थान पर जल्द ही कोई नया नेता मिल जाएगा. शरद पवार इस पद के लिए सबसे चयनित नाम होने की संभावना है. सोनिया के बाद अब शरद पवार (Sharad Pawar) इस कुर्सी को संभाल सकते हैं.

दरअसल, रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपीए (UPA) अध्यक्ष पद के लिए, कांग्रेस (Congress) अगले साल की शुरुआत में चुनाव कराएगी और इस समय राहुल गांधी पद संभालने के लिए तैयार नहीं हैं. 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को अंतरिम अध्यक्ष बनने के लिए मजबूर किया गया था.

क्यों पवार के नाम पर हो रहा है विचार?

यूपीए (UPA) में सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) की जगह कौन ले सकता है? इस सवाल का जवाब इससे है कि UPA को ऐसे नेतृत्व की जरूरत है, जो व्यक्ति अनुभवी और चतुर राजनीतिज्ञ हो और जो अन्य दलों के साथ भी बातचीत कर सकता हो. ऐसे में शरद पवार की रणनीति किसी से छिपी नहीं है.

दरअसल, ममता बनर्जी और एमके स्टालिन जैसे क्षेत्रीय खिलाड़ी कांग्रेस (Congress) के युवा नेताओं के साथ बातचीत के लिए सहमत नहीं हो सकते हैं, इसलिए यह खोज किसी ऐसे व्यक्ति के लिए है जिसके पास वह गुण हैं और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि पीएम मोदी को कौन ले सकता है.

मीडिया के अनुमानों ने सुझाव दिया कि पवार संभावित फ्रंट रनर हैं, क्योंकि वह यूपीए (UPA) में लगभग सभी पार्टियों के साथ एक अच्छा समीकरण साझा करते हैं. इसके अलावा, पवार के पास दोस्तों और दुश्मनों के बीच समान रूप से सक्षम होने का आकर्षक गुण भी है. जैसा कि उनके पास पीएम मोदी का सम्मान है, इसलिए उनके लिए एक कामकाजी संबंध बनाना मुश्किल नहीं है.

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शरद पवार (Sharad Pawar) को सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के नाम पर कभी इतनी कड़ी आपत्ति थी कि उन्होंने कांग्रेस (Congress) से अपनी राह जुदा कर नई पार्टी का गठन कर दिया था. 1977 में कांग्रेस (Congress) में दोफाड़ हो गई थी, जिसके बाद जुलाई 1978 में शरद पवार ने अपनी रणनीति का इस्तेमाल करते महाराष्ट्र के CM की कुर्सी हासिल कर ली. लेकिन 1980 में इंदिरा गांधी जब केंद्र की सत्ता में दोबारा वापस लौटीं तो उन्होंने शरद पवार की सरकार को बर्खास्त कर दिया. उसके बाद भी 6 साल तक शरद पवार कांग्रेस (Congress) से दूर ही रहे. लेकिन राजीव गांधी से नजदीकी बनाकर 1986 में उन्होंने दोबारा कांग्रेस (Congress) में वापसी कर ली. लेकिन 1998 में जब सोनिया गांधी ने सीताराम केसरी को बेदखल कर कांग्रेस की बागडोर संभाली तो उनका विदेशी मूल का होना शरद पवार (Sharad Pawar) को खटकने लगा. और एक साल के भीतर ही पवार ने अपनी अलग पार्टी बना ली.

मतलब साफ है, कभी सियासत में एक दूसरे के शत्रु रहे शरद पवार (Sharad Pawar) और सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के बीच ये शायद अबतक का सबसे बड़ा समझौता हो सकता है. क्योंकि पवार के पवार को देखते हुए ही उनका नाम UPA के अध्यक्ष के लिए सबसे आगे चल रहा है.

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