लखनऊ: रामनगरी में विश्व की सबसे ऊंची भगवान श्रीराम की मूर्ति स्थापित करने की कवायद तेज हो गई है। 251 मीटर ऊंची प्रतिमा सरयू तट पर स्थापित होगी जो कि रामनगरी की भव्यता व धार्मिक आभा बढ़ाने का काम करेगी. मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने नई जमीन के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है और इसके लिये 100 करोड़ रुपये भी जारी कर दिये हैं. जिला प्रशासन के मुताबिक इसके लिये 86 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होगा.
2022 तक मूर्ति को साकार रूप देने का लक्ष्य
आपको बता दें कि योगी सरकार ने लक्ष्य रखा है कि भगवान राम की इस प्रतिमा को 2022 तक पूरी तरह से बनाकर तैयार कर लिया जाए. साथ ही रामनगरी के समग्र पर्यटन विकास के लिए प्रदेश सरकार ने 447 करोड़ रुपये का बजट भी मंजूर कर दिया.
अधिग्रहण के दायरे में कई मठ
आपको बता दें कि सरकार ने जो जमीन अधिग्रहीत करने के लिये चिन्हित की है उसके दायरे में कई मठ और कई छोटे मंदिर भी आते हैं. अधिग्रहण के दायरे में 66 भवन, 224 पेड़ सहित पांच मंदिर तपस्वी रामनारायणदास जी महाराज चेला रामकिशुन दास बधाई बाबा फटिक शिला, कुष्ठ आश्रम, बम बम महाराज, अंर्तयामी, काली मंदिर का भी अधिग्रहण हुआ है. शेष जमीनों के अधिग्रहण के लिए अब शीघ्र ही नोटिफिकेशन जारी होगा। सरयू तट के आसपास की जमीनें ही अधिग्रहण के दायरे में आएंगी.
मूर्ति के लिये 100 करोड़ रुपये का बजट
योगी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए राम नगरी के आसपास की अन्य जमीनों की तलाश और पैमाइश का काम शुरू हुआ. जनपद दौरे पर आए सीएम योगी व आला अधिकारियों को जिला प्रशासन की ओर से विकल्प के रूप में अन्य जमीन और क्षेत्र दिखाए गए. मीरापुर द्वाबा में निर्माण की एनओसी न मिल पाने के चलते जिला प्रशासन की ओर से प्रतिमा स्थापना के लिए माझा बरेहटा क्षेत्र का प्रस्ताव भेजा गया, जिसको प्रदेश सरकार ने हरी झंडी दे दी.