गुप्त नवरात्रि 2021: इस मंत्र से कीजिए सौंदर्य की देवी त्रिपुर सुंदरी को शीघ्र प्रसन्न

आज इस गुप्त नवरात्रि के तीसरे व्रत पर आद्य महाविद्या त्रिपुर सुंदरी की पूजा की जाती है. एक पौराणिक कथा के अनुसार सती वियोग के बाद भगवान शिव सदैव ध्यान में ही मग्न रहने लगे.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 14, 2021, 12:38 PM IST
  • गुप्त नवरात्रि के तीसरे व्रत पर महाविद्या त्रिपुर सुंदरी की पूजा होती है.
  • भांड असुर का वध करने के लिए हुई थी उत्पन्न की गई थीं त्रिपुर सुंदरी
गुप्त नवरात्रि 2021: इस मंत्र से कीजिए सौंदर्य की देवी त्रिपुर सुंदरी को शीघ्र प्रसन्न

नई दिल्ली: माघ मास में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि का आज तीसरा दिन है. मान्यता के अनुसार इन दिनों में मां को प्रसन्न करने के लिए की गई पूजा का दोगुना फल प्राप्त होता है. आज इस गुप्त नवरात्रि के तीसरे व्रत पर आद्य महाविद्या त्रिपुर सुंदरी की पूजा की जाती है. इन्हें ऐश्वर्य और सौंदर्य की देवी के रूप में भी जाना जाता है.

जानिए माता त्रिपुर सुंदरी की उत्पत्ति की कथा

पौराणिक कथाओं में माता त्रिपुर सुंदरी के उत्पत्ति का रहस्य बताया गया है. एक पौराणिक कथा के अनुसार सती वियोग के बाद भगवान शिव सदैव ध्यान में ही मग्न रहने लगे. ऐसे में उन्होंने अपने संपूर्ण कर्मों का भी त्याग कर दिया था, जिस कारण तीनों लोकों के संचालन में व्याधि उत्पन्न हो गई.

कामदेव ने किया महादेव का ध्यान भंग

उधर तारकासुर ने ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त किया कि वह सिर्फ शिव के पुत्र द्वारा ही मर सकता है. अब समस्त देवताओं ने भगवान शिव को ध्यान से जगाने के लिए कामदेव और उनकी पत्नी देवी रति को कैलाश भेजा. कामदेव ने शिव का ध्यान भंग करने के लिए उन पर प्रहार किया और वह सफल रहे.

महादेव ने कर दिया कामदेव का वध

कामदेव की इस हरकत पर भगवान शिव का तीसरा नेत्र खुल गया और उन्होंने क्रोध में आकर कामदेव को भस्म कर दिया. इस पर देवी रति ने अत्यंत दारुल विलाप किया, जिस पर भोलेनाथ ने द्वापर युग मे भगवान कृष्ण के पुत्र में कामदेव को पुन: जन्म धारण करने का वरदान दिया.

भस्म ने उत्पन्न हुआ भांड

रति के वहां से जान के बाद एक गण ने कामदेव की इस भस्म से एक मूर्ति निर्मित की, जिससे एक पुरुष पैदा हुआ. उसने भगवान शिव की स्तुति की और महादेव ने उस पुरुष का भांड नाम रखा.

शिव के क्रोध से उत्पन्न होने के कारण भांड तीनों लोकों मे उत्पात मचाने लगे. उसने स्वर्ग लोग पर आक्रमण कर दिया. इसके बाद देवराज इंद्र सहायता के लिए नारद मुनी की शरण में पहुंचें.

इस तरह उत्पन्न हुईं देवी त्रिपुर सुंदरी

नारद मुनि ने इस समस्या का निवारण करने के लिए यथा विधि अपने रक्त और मांस से आद्य शक्ति की आराधना करने का परामर्श दिया. देवराज इंद्र ने माता की अराधना की, जिसके बाद त्रिपुर सुंदरी के स्वरूप में प्रकट होकर माता ने भांड असुर का वध किया.

सभी कष्टों को दूर करती हैं माता

पूरे विधि-विधान से की गई पूजा से माता त्रिपुर सुंदरी शीघ्र प्रसन्न होती हैं और मनोवांछित फल देती हैं. उनमें सूर्य के समान तेज समाहित है. मां को प्रसन्न करने के लिए पूजा के दौरान कुछ मंत्रों का जाप करने से अतिशीघ्र सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मां अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करती हैं. देवी की पूजा से आत्मिक बल, कीर्ति और यश की प्राप्ति होती है.

मंत्र- ऐं क्लीं सौ: बार त्रिपुरे स्वाहा

ऐं क्लीं सौ: बाला त्रिपुरे सिद्धिं देहि नम:

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