नई दिल्लीः भगवान शिव को विशेष प्रिय और पवित्र माह की शुरुआत हो चुकी है. शिव आराधना महज किसी देवता का पूजन विधान नहीं बल्कि प्रकृति की उसके दिव्य स्वरूप के रूप में पूजा है. महादेव को वह सभी तत्व, वनस्पतियां अति प्रिय हैं, जिन्हें भौतिक जीवन में त्याज्य समझा जाता है.
बिल्व पत्र, आक के फूल, भांग, धतूरा जैसे फल-पुष्प और पत्तियों से शिव अर्चना की जाती है. जहां आम तौर पर अन्य देवी-देवताओं को सुंदर पुष्प आकर्षित करते हैं, वहीं शिव बेल के त्रिदल से ही प्रसन्न हो जाते हैं. महादेव और भगवान विष्णु ही जिनकी पूजा में औषधीय पत्तियां तुलसी दल और बेल पत्र आवश्यक है. महादेव को चढ़ने वाले इन वनस्पतियों के महत्व पर डालते हैं नजर-
दूधः सम्पूर्ण आहार के तौर पर मान्यता
महादेव को गाय का शुद्ध कच्चा दूध अति प्रिय है. इसलिए जिन पंच तत्वों से रुद्राभिषेक बताया गया है. उनमें सबसे प्रमुख दूध शामिल है. दूध एक सम्पूर्ण आहार है. इसके पोषक तत्व किसी से छिपे नहीं हैं इसलिए यह जीवन का आधार भी है.
दूध में पके चावल की खीर ऊर्जा और पौष्टिकता का सबसे उच्च मिश्रण है. महादेव और भगवान विष्णु दोनों को ही यह प्रिय है.
बिल्व पत्रः शीतलता प्रदान करने वाली वनस्पति
समुद्र मंथन के समय जब महादेव ने विष पान किया तो उसके प्रभाव से उनका शरीर जलने लगा. इसका प्रभाव कम करने के लिए बिल्व यानी बेल पत्र का रस महादेव को दिया गया और इसकी छाल घिस कर चूर्ण का लेप किया गया. बेल की छाल, चंदन के समान ही शीतल व्यवहार करती है.
इसलिए महादेव को प्रिय है. दूसरा तथ्य यह भी है चंदन दुर्लभ और बेल सुलभ है. महादेव की भक्ति कठिन नहीं सरल है.
धतूराः विष नहीं यह अमृत है
कांटेदार फल धतूरा आम तौर पर जहरीला और जंगली माना जाता है. लेकिन यह भी तर्क है कि जहर ही जहर को काटता है. इसका भी इतिहास विषपान की घटना से जुड़ा है. धतूरा अपने अंदर कई अमृत रूपी गुणों को समेटे हुए है.
आयुर्वेद में यह पुराने बुखार, जोड़ों के दर्द, विष प्रभाव आदि के कष्ट को हरने वाला कारक बताया गया है.
आक(मदार)- कई रोगों का निदान है आक में
महादेव के जो फूल अत्यंत प्रिय हैं वह हैं मदार के फूल. सफेद मदार के हों तो और भी उत्तम. यह भी एक औषधीय शीतलक है. इसके अलावा यह आयुर्वेद में जलोदर, पीलिया, हैजा, कालरा और अन्य पेट रोगों का निदान करने वाला है.
इसके अनेक औषधीय गुण इसे अमृत जैसा बनाते हैं.
भांगः इसलिए महादेव को है प्रिय
भगवान शिव को भांग अति प्रिय है. लेकिन आम तौर पर लोगों ने इसे नशा या निश्चेतक के तौर पर उनका प्रिय मान लिया है. लेकिन ऐसा नहीं है. भांग एक घास और झाड़ी नुमा पौधा है. इसके रस के औषधीय गुण इसे महादेव का प्रिय बनाते हैं. इसका अधिक सेवन निश्चेतक प्रभाव उत्पन्न करता है.
महादेव का वैद्यनाथ स्वरूप इसके औषधीय गुणों की व्याख्या करता है. भांग दमा, खांसी, श्वांस रोग, प्रतिरोधी तंत्र की बीमारियां और दर्द निवारक के रूप में पहचाना जाता है.
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