मोढेराः भारत देश का चप्पा-चप्पा स्थापत्य, कला, शिल्प,. इतिहास और पुरुषार्थ की गाथाओं से भरा पड़ा है. जहां तक नजर जाए कला के उतने आयाम नजर आते हैं, यह तो केवल वह हैं जो सिर्फ ज्ञात हैं, इतिहास में लिखित हैं या फिर राज्य सरकारों की ओर पर्यटन स्थल बना दिए गए हैं, अब भी ऐसे कई स्थल हैं जो आंखों से छिपे हुए हैं, लेकिन कभी-कभी जब उन पर नजर पड़ती है तो अपने पूर्ण वैभव के साथ निखर आते हैं.
पीएम मोदी ने ट्वीट किया था वीडियो
ऐसा ही एक स्थल है, गुजरात स्थित मोढेरा. हाल ही में बारिश के दौरान पीएम मोदी ने जब यहां के प्राचीन सूर्य मंदिर की एक वीडियो ट्वीट किया तो अनायास ही इस प्राचीन स्थल पर देशभर की निगाहें टिक गईं.
आज तक इस मंदिर को प्राचीनता का केवल एक खंडहर ही समझा जाता था, लेकिन बारिश तेज धार जब झरनों सी बहती हुए इसके अलग-अलग कोणों से गिरी तो इस दृष्य ने वाकई मन मोह लिया.
भारतीय प्राचीन संस्कृति की धरोहर
गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित है एक गांव मोढेरा. कोरोना काल में फिलहाल पर्यटन तो बंद है, लेकिन पुरातत्व विभाग के मुताबिक भारतीय प्राचीन संस्कृति को जानने-समझने की दिलचस्पी लिए साल भर अलग-अलग देशों से विदेशी पर्यटक मोढेरा गांव पहुंचते हैं.
अपने आप में प्राचीनता के धरोहर समेटे इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व भी है.
अद्भुत है स्थापत्य कला
मोढेरा में स्थित सूर्य मंदिर का निर्माण 1026 ई. में सूर्यवंशी सोलंकी राजा भीमदेव प्रथम द्वारा करवाया गया था. यह मंदिर ग्याहरवीं शताब्दी का है. इस मंदिर का निर्माण इस तरह से किया गया है कि सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के समय तक इसपर सूर्य की किरणें पड़ती हैं.
यह एक पहाड़ी पर स्थित है. इस मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर बहुत सुंदर नक्काशी की गई है.
मंदिर बनाने में चूने का प्रयोग नहीं
इसकी दीवारों पर नक्काशी से पौराणिक कथाओं का चित्रण किया गया है. यह मंदिर तीन हिस्सों में विभाजित है. इस मंदिर में सूर्य कुंड, सभा मंडप और गूढ़ मंडप बना है, कुंड में जाने के लिए सीढ़ियों का निर्माण किया गया है.
पुष्पावती नदी के किनारे स्थित होने से इसकी सुंदरता और बढ़ जाती है. मंदिर की खासियत है कि इसे बनाने में चूने का इस्तेमाल नहीं किया गया है. जो कि बाद की सदी में बने कई भवनों में स्पष्ट तौर पर दिखता है.
श्रीराम के युग से भी जुड़ी है कथा
जनश्रुतियों के आधार पर कहा जाता है, रावण वध के बाद श्रीराम ब्रह्म हत्या के पाप और बोझ से उऋण होना चाहते थे. उन्होंने अपने कुलगुरु ऋषि वशिष्ठ से इसका उपाय पूछा और कोई ऐसा स्थान बताने के लिए कहा, जहां जाकर आत्मिक शांति मिल सके.
कहते हैं कि श्री राम गुरु के बताए अनुसार मोढेरा ही आए थे. यहां मंदिर परिसर के आगे जो कुंड बना है वह रामकुंड इसीलिए कहा जाता है.
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