नई दिल्ली. आज है सात मई 2020 जो कि भारतीय पंचांग के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा का शुभ अवसर है. सनातन धर्म में बुद्ध पूर्णिमा को विशेषरूप से महत्वपूर्ण माना गया है. भगवान बुद्ध को नवां अवतार माना जाता है. भगवान विष्णु के नवम अवतार भगवान बुद्ध का जन्मदिवस आज ही पड़ता है इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा के पर्व के रूप में मनाया जाता है. और बौद्धों का तो यह सर्वप्रमुख त्यौहार है.
सत्य विनायक पूर्णिमा भी कहा जाता है इसे
इस दिन को सत्य विनायक पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन को विष्णु भगवान की विशेष पूजा करने का अवसर माना जाता है. सनातन धर्म में पूजा-पाठ के विधि-विधान निर्धारित किये गए हैं जिनका ध्यान रख कर ही पूजन-भजन किया जाता है. इन नियमों का पालन न करने से ईश कृपा की प्राप्ति नहीं होती है अतएव इन नियमों का ध्यान रखना अनिवार्य है.
बुद्ध पूर्णिमा के विशेष नियम विधान हैं
हर पर्व की भांति ही बुद्ध पूर्णिमा के भी अपने विशेष नियम जिनके अनुसार इस दिन पूजा-पाठ किया जाता है. इन नियमों का पालन ईश कृपा के आवाहन और उनके स्वागत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. और यदि इन नियमों का पालन नहीं किया जाता है तो भगवत-कृपा की प्राप्ति नहीं होती. बुद्ध पूर्णिमा के दिन भी हमारे लिये कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है.
बुद्ध पूर्णिमा का मुहूर्त
यद्यपि बुद्ध पूर्णिमा आज मई की सात तारीख को है किन्तु इसके मुहूर्त की प्रारंभि 6 मई 2020 को शाम 7 बजकर 44 मिनट से हुई है. इसी तरह इसका समापन आज सायंकाल 4 बजकर 14 मिनट पर होगा.
वे कार्य जो आज नहीं करने हैं
आइये जानते हैं कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन भी ईश्वर अराधना करते समय हमें किन विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिये और उनको से वो काम हैं जो आज हमें भूलकर भी नहीं करने चाहिए. आज विष्णु भगवान का दिवस है अतएव हमें एक वैष्णव के धर्म का यथासंभव पालन करना चाहिये जैसे कि आज हमें मांस नही खाना है, किसी तरह का कोई कलह नहीं करना है, किसी को अपशब्द नहीं कहना है और झूठ बोलने से यथासंभव परहेज करना है.
आज के विशेष करणीय कार्य
आज बुद्ध पूर्णिमा के दिन जो करणीय कार्य हैं जिन पर हमें विशेष ध्यान देना है उसमें सबसे पहले तो हमको सूर्योदय के पूर्व शैया का त्याग कर देना है. फिर घर की साफ-सफाई करने के उपरान्त स्नान करके खुद पर गंगाजल का छिड़कना चाहिये. तदोपरांत घर के मंदिर में विष्णु जी की प्रतिमा के सामने दीपक जला कर उनका पूजन करना चाहिये. इसी के साथ घर के मुख्य द्वार पर हल्दी, रोली या कुमकुम से स्वस्तिक बनाकर वहां गंगाजल का छिड़काव करना चाहिये. पूजा के अनंतर निर्धनों को भोजन करवाकर उन्हें वस्त्रादि का दान करना चाहिये. यदि घर में कोई पक्षी पिन्जरे में हो तो उसे आज आजाद कर देना चाहिये और अंततः संध्याकाल में उदीयमान चंद्रमा को जल का अर्पण करना चाहिये.
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