नई दिल्लीः भारतीय सनातन परंपरा जितना देवी-देवताओं को मानती और उन पर विश्वास रखती है, उतना ही प्रकृति के हर हिस्से को भी जीवन के लिए असरकारी मानती है. इसे मानने व न मानने वालों के बीच बड़ी बहसें भी हैं. सनातन परंपरा का मानना है कि जैसे सूर्य-चंद्र, पेड़-पौधे, नदी-पहाड़ और समुद्र हमारे जीवन पर शीत-गर्मी, आंधी-तूफान का कारण बनकर असर डालते हैं
ठीक ऐसे ही व्यापक नजरिए से देखें तो ग्रहों की हर चाल का असर हमारी जिंदगी पर पड़ता है. एक उदाहरण के तौर पर समझें तो पृथ्वी की गति के कारण ही तो हम दिन और रात का समय देखते हैं. ठीक इसी तरह सौर मंडल के अन्य ग्रहों की चाल भी हमारे सूक्ष्म शरीर पर प्रभाव डालती है. इनके असर कभी सकारात्मक होते हैं तो कभी नकारात्मक.
ग्रहों की बदलती चाल का जिक्र इसलिए क्योंकि आज 30 जनवरी को सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह बुध हमारे जीवन और राशियों पर बड़ा असर डालने जा रहा है. दरअसल बुध वक्री होने जा रहे हैं. यह शनिवार जनवरी 30 को, 2021 08: 54 बजे कुंभ राशि में वक्री हो रहे हैं. इसके बाद फरवरी 21, 2021 शाम 05:49 बजे उनकी वक्री मकर राशि में समाप्त हो रही हैं. उनकी इस ग्रह चाल का हमारे जीवन पर कैसा असर पड़ेगा, इस पर एक नजर डालते हैं.
बुध के वक्री होने तात्पर्य
सौर मंडल के सभी ग्रह अपनी कक्षा में अंडा-कार गति करते हुए पृथ्वी या सूर्य के सापेक्ष किसी निकटतम बिंदु तक पहुंचते हैं. इन्हें पृथ्वी से देखने पर ऐसा लगता है कि यह सभी ग्रह उल्टी गति में चल रहे हैं. यानी ये सीधा न चलकर पीछे की तरफ चाल बढ़ा रहे हैं. इसी उल्टी चाल की स्थिति को ज्योतिष की दुनिया में ग्रहों की वक्री चाल कहा जाता है.
अभी बात बुध ग्रह के वक्री होने की हो रही है तो यह ग्रह पूरे एक सौर वर्ष (यानी एक साल) में तीन से चार बार वक्री हो जाता है.
वक्री अवस्था में मजबूत हो जाते हैं बुध
बुध ग्रह एक लाभकारी ग्रह होने के साथ-साथ कभी-कभार नकारात्मक प्रभाव भी देता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार बुध ग्रह को एक तटस्थ ग्रह माना गया है जो अगर कुंडली में शुभ ग्रहों के साथ स्थित होता है तो व्यक्ति को शुभ परिणाम देता है और अगर यह पीड़ित ग्रहों के साथ होता है तो यह आपको दुष्परिणाम देता है.
बुध अपनी वक्री अवस्था में बेहद मजबूत स्थिति में माना जाता है और यही वजह है कि वक्री स्थिति में होने से इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है.
व्यक्ति को कुशाग्र बनाती है बुध की स्थिति
बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है. इसके अलावा बुध कन्या राशि में उच्च का माना जाता है जबकि मीन राशि में बुध नीच का माना जाता है. जिन जातकों की जन्म कुंडली में बुध मजबूत होता है उनका उनके भाई-बहनों के साथ मजबूत रिश्ता होता है.
इसके अलावा ऐसे जातक स्वभाव से चालाक, तर्कसंगत और बौद्धिक रूप से बेहद ही धनी माने जाते हैं. कुंडली में बुध की मजबूत स्थिति इंसान को कुशाग्र बुद्धि का बनाती है. इसके अलावा ऐसे जातक सभी विषयों को तार्किक रूप से देखने में माहिर होते हैं.
इन उपायों से दूर करें वक्री बुध के नकारात्मक प्रभाव
- भगवान की उपासना करें. शुभ प्रभाव बढ़ेंगे. बुध वक्री होने की समय के दौरान दिन में 108 बार बुध बीज मंत्र का जाप करें. आपमें उचित ऊर्जा का संचार होगा. आपकी बात करने की शैली को सशक्त करेगा.
- बुध ग्रह भगवान विष्णु के आशीर्वाद के अनुकूल फलदायी बनता है. प्रतिदिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें, लाभ मिलेगा.
- बुधवार के दिन भगवान गणेश की उपासना करें और उन्हें बूंदी के लड्डू चढ़ाएं. बुधवार का दिन विनायक गणपति की पूजा के लिए विशेष दिन है.
- नकारात्मक और अनचाहे विचारों और तनाव के दबाव से दूर रहने के लिए हर सुबह और रात को आपको ध्यान करने की सलाह दी जाती है.
- बुध के वक्री होने वाले दिन पन्ना, ग्रीन कार्नेलियन या हरा गोमेद पहनने से बुध के वक्री दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है. यह आपमें आत्मविश्वास बढ़ाएगा.
- दान-पुण्य करने से जीवन में किसी भी प्रकार के नकारात्मक प्रभाव को कम करने में सहायता मिलती है. ऐसे में वक्री बुध के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए ज़रूरतमंदों को हरी चने की दाल, हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ, हरी चूड़ियां या कपड़े दान करें.
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