नई दिल्ली: Ranji Trophy 2022: वर्तमान में देश की सबसे बड़ी घरेलू लीग खेली जा रही है. रणजी ट्रॉफी में देश के छोटे छोटे शहरों के युवा खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का बेहतरीन मौका मिलता है. ऐसे ही एक खिलाड़ी हैं विष्णु सोलंकी (Vishnu Solanki). विष्णु सोलंकी की जिंदगी जितनी प्रेरणादायक है उतनी ही बेहद भावकु भी.
बेटी और पिता की मौत भी नहीं तोड़ सकी हौसला
बेटी की मौत और फिर सिर से पिता का साया उठने से शोक संतप्त विष्णु सोलंकी ने बड़ौदा की रणजी टीम के साथ बने रहने और ग्रुप चरण के तीसरे मैच को खेलने फैसला किया है. उनके इस फैसले ने सभी का दिल जीत लिया. खेल प्रति जुनून और सब कुछ समर्पित कर देने की सोलंकी (Vishnu Solanki) की सोच ने उन्हें रातों रात देश भर में लोकप्रिय कर दिया. पिता की मौत के बावजूद रणजी खेलते रहने वाले खिलाड़ियों में अब तक सिर्फ विराट कोहली का नाम ही चर्चित था. लेकिन अब इस फेहरिस्त में विष्ण सोलंकी भी शामिल हो गए. सोलंकी का जीवन करोंड़ो युवाओं के लिए प्रेरणा बन गया है.
निजी जिंदगी के बजाय दी टीम को वरीयता
पिछले कुछ सप्ताह सोलंकी के लिए बेहद कठिन रहे हैं क्योंकि अपनी नवजात बेटी को खोने के कुछ दिनों के बाद रविवार को उनके बीमार पिता की भी मौत हो गयी. बड़ौदा क्रिकेट संघ के सचिव अजीत लेले ने सोमवार को पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘वह (विष्णु) आखिरी मैच खेलेंगे. वह वापस नहीं आ रहे हैं. वह तीसरा मैच खेल रहे हैं. वह टीम के साथ रुक रहे हैं.’’
यह 29 साल का क्रिकेटर 10 फरवरी को पिता बना था लेकिन अगले ही दिन उसकी बच्ची की मौत हो गयी थी. उन्होंने हालांकि इस सदमे से वापसी करते हुए चंडीगढ़ के खिलाफ जज्बे के साथ 104 रन की पारी खेली. इसी मैच के आखिरी दिन उन्हें पिता के निधन की खबर मिली. बड़ौदा की टीम एलीट ग्रुप बी के अपने आखिरी मैच में तीन मार्च से हैदराबाद का सामना करेगी.
ये भी पढ़ें- श्रीलंका के खिलाफ दिखेगी अगले एक दशक की तस्वीर, जानिए किस नंबर पर खेलेगा कौन सा खिलाड़ी
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.