Rohit Sharma Rahul Dravid: पिछले एक दशक में भारतीय टीम ने विश्व क्रिकेट पर राज किया है और इस दौरान न सिर्फ उसके खेल में बल्कि खेल के तरीके में भी काफी बदलाव देखने को मिला है. इसका बहुत बड़ा श्रेय भारतीय टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली और हेड कोच रवि शास्त्री को भी जाता है जिन्होंने एक नहीं बल्कि कई तरीकों से भारतीय क्रिकेट में बदलाव लाने का काम किया है. यह इस जोड़ी का ही कमाल था जिसके चलते भारतीय टीम 2019 विश्वकप के सेमीफाइनल, विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के पहले सीजन के फाइनल और लगातार टेस्ट सीरीज में जीत हासिल करने का कारनामा किया था.
विराट कोहली और रवि शास्त्री ने भी अपने बयान में जिस एक बदलाव की बात की थी वो है विदेशी सरजमीं पर भी भारतीय टीम को जीत दिलाने के काबिल बनाना और भारतीय टीम ने जिस तरह से विश्व क्रिकेट पर दबदबा बनाया वो दर्शाता है कि उसने ये कर के भी दिखाया है. हालांकि कोहली-शास्त्री की जोड़ी भारतीय टीम को फाइनल लाइन से पार नहीं करा सकी और टेबल टॉपर बनाने के बावजूद आईसीसी विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप और इंग्लैंड में खेले गये वनडे विश्वकप का खिताब नहीं जिता सकी.
नंबर 4 पर बल्लेबाज न ढूंढ पाना हमारी सबसे बड़ी गलती
भारतीय टीम के तत्कालीन फील्डिंग कोच आर श्रीधर ने भी टीम के साथ अपना ये समय एन्जॉय किया हालांकि एक बड़े मौके को मिस करने का मलाल जरूर है. विश्वकप 2023 की ओर बढ़ते हुए भारतीय टीम इस बार कोई भी कमी नहीं छोड़ना चाहती है फिर चाहे वो नंबर 4 पर एक मजबूत ब्ललेबाज ही क्यों न हो. भारतीय टीम के लिये नंबर 4 अलग-अलग प्रारूप में सिरदर्द बना हुआ है और इसका हल न ढूंढ पाने का मलाल आर श्रीधर को आज भी है. श्रीधर का मानना है कि इस गलती से बचा जा सकता था.
कोचिंग बियॉन्ड नाम कि आत्मकथा में श्रीधर ने लिखा,’ कई सारे निर्णय जो हमने लिये उससे हमें पसंदीदा नतीजे नहीं मिले, हालांकि जो हमारी सबसे बड़ी गलती तब हुई जब हम पर समय का दबाव नहीं था. मैं 2019 विश्वकप के नंबर 4 की पोजिशन के बल्लेबाज की बात कर रहा हूं. 2015 से 2109 विश्वकप के बीच हमारे पास इस नंबर को भरने के लिये 4 साल का समय था लेकिन हम बल्लेबाजी के अहम पोजिशन के लिये खिलाड़ी नहीं ढूंढ सके. इस नंबर पर खेलना आसान नहीं है और मुझे दुख है कि हमने इस पायदान पर किसी को भी सेटल होने का मौका नहीं दिया.’
खिलाड़ियों को नहीं दिया पूरा मौका
श्रीधर ने आगे बात करते हुए लिखा कि हमें तुरंत नतीजे चाहिये होते थे और इसी वजह से अगर कोई 2-3 मैचों में फेल हो जाता था तो हम अगले खिलाड़ी की ओर बढ़ जाते थे. मेरे पास सच में कोई बहाना नहीं है, हमारे पास पूरे कार्यकाल में संजय बांगर के रूप में एक ही बल्लेबाज कोच, एक ही फील्डिंग कोच था सिवाय 2016 के वेस्टइंडीज दौरे के. हेड कोच रवि शास्त्री और गेंदबाजी कोच भरत अरुण एक साल के लिये नहीं थे और उनकी जगह अनिल कुंबले को यह जिम्मा दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद हमारे पास इतना वक्त था कि हम एक अच्छा खिलाड़ी चुन सकते थे. हमसे बहुत बड़ी गलती हुई और हमें आज तक उस का पछतावा है.’
आर श्रीधर का मानना है कि जो गलती कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली की जोड़ी ने की थी वो रोहित शर्मा और राहुल द्रविड़ की जोड़ी नहीं दोहराएगी और आगामी आईसीसी चैम्पियनशिप से पहले उन सारी कमियों को दूर करेगी जिसका उसे बाद में पछतावा करना पड़ सकता है.
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