नई दिल्लीः भारत के पूर्व कोच रवि शास्त्री ने सोमवार को विराट कोहली को सलाह दी कि अच्छी शुरुआत करने के बाद उन्हें दूसरे बल्लेबाजों की चिंता छोड़कर अपनी पारी की गति कम नहीं होने देनी चाहिए. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर (आरसीबी) के इस बल्लेबाज ने इंडियन प्रीमियर लीग में टीम के पिछले मुकाबले में पारी को संवारने के लिए एक छोर पर संभल कर बल्लेबाजी की. उन्होंने 46 गेंद में 55 रन बनाये लेकिन बाद में उनकी बल्लेबाजी की आलोचना हुई क्योंकि इससे टीम ने लगभग 20 रन कम बनाये. कोहली का यह सत्र का छठा अर्धशतक था.
जानिए क्या बोले रवि शास्त्री
शास्त्री से जब ‘ ईएसपीएनक्रिकइन्फो’ के कार्यक्रम में इस बारे में पूछा गया कि क्या आरसीबी की लचर बल्लेबाजी के कारण कोहली आखिर ओवरों तक बल्लेबाजी के लिए मजबूर हुए, तो उन्होंने कहा कि भारत के इस दिग्गज खिलाड़ी को दूसरे बल्लेबाजों की चिंता नहीं करनी चाहिये. शास्त्री ने कहा, ‘‘ एक बार जब आप लय हासिल कर लेते हैं, तो अपने खेल को नहीं बदलना चाहिये, दूसरों की चिंता नहीं करनी चाहिये.
विराट को दिया ये संदेश
विराट के लिए यही मेरा संदेश होगा कि उन्हें (दूसरे बल्लेबाजों) अपना काम करने दें. टी20 मैच में आपको इतने बल्लेबाजों की जरूरत नहीं होती. अगर आप फॉर्म में है तो अपने तरीके से बल्लेबाजी जारी रखें.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ इसका अच्छा उदाहरण फिल साल्ट था. आपने देखा कि उसने किस तरह से बल्लेबाजी की. एक बार जब उसने लय हासिल कर ली तो फिर उसे जाने नहीं दिया.
इस खिलाड़ी से की तुलना
शास्त्री ने साल्ट की 45 गेंद में 87 रन की मैच जिताने वाली पारी का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ इससे अन्य बल्लेबाजों पर से दबाव हट गया. चाहे मार्श हो या रूसो, वे भी पूरी आजादी के साथ आक्रामक बल्लेबाजी रहे थे. विराट को भी कुछ ऐसा ही दृष्टिकोण अपनाना चाहिये. अगर उसने लय हासिल कर ली है तो अपनी गति न बदलें.’’
मुंबई इंडियंस के कप्तान रोहित शर्मा के बारे में पूछे जाने पर शास्त्री ने कहा कि बल्ले से योगदान नहीं देने का असर उनकी कप्तानी पर भी पड़ रहा है. रोहित ने 10 मैच में सिर्फ 184 रन बनाये है. उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप रन बना रहे हैं तो एक कप्तान के रूप में काम बहुत आसान हो जाता है. जब आपका बल्ला चल रहा होता है तो मैदान पर हाव भाव बदल जाता है, मैदान पर अलग स्तर की ऊर्जा होती है. इसके उलट जब आप रन नहीं बना पाते है तो उत्साह में कमी होती है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ एक कप्तान के तौर पर यह ज़रूरी है कि आपका निजी प्रदर्शन भी अच्छा हो. यही टीम आने वाले दो तीन वर्षों में एक मजबूत टीम बन सकती है, लेकिन इन्हें सही तरह से संयोजित करने की जिम्मेदारी कप्तान की ही है.
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