नई दिल्लीः भारत और इंग्लैंड की महिला क्रिकेट टीमों के बीच खेले जा रहे एकमात्र टेस्ट मैच के शुरुआती तीन दिन अगर किसी खिलाड़ी की चर्चा हुई तो वह थी 17 साल की शफाली वर्मा. शफाली ने अपने डेब्यू टेस्ट की पहली पारी में धमाकेदार अंदाज में 96 रन की पारी खेलकर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा.
हर किसी को इस बात का अफसोस था कि वो डेब्यू टेस्ट में शतक जड़ने से 4 रन के अंतर से चूक गईं. इसके बाद मैच के तीसरे दिन भी शफाली ने अपनी धमाकेदार बल्लेबाजी को जारी रखते हुए दूसरी पारी में भी अर्धशतक जड़ दिया. लेकिन एक बार फिर उनके आउट होते ही फॉलोऑन खेल रही टीम इंडिया परेशानी में आ गई. मैच के चौथे और आखिरी दिन भारतीय महिला क्रिकेट टीम को हार टालने के लिए संघर्ष करना पड़ा.
स्नेह और तानिया की साझेदारी ने बचाया मैच
ऐसी स्थिति में अपना डेब्यू टेस्ट खेल रहीं ऑलराउंडर स्नेह राणा और विकेटकीपर तानिया भाटिया ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए नौवें विकेट के लिए 124 रन की नाबाद साझेदारी कर टीम को हार से बचा लिया. स्नेह राणा 154 गेंद में नाबाद 80 और तानिया भाटिया 88 गेंद में 44 रन बनाकर नाबाद रहीं. दोनों ने टीम को हार से बचाने के लिए हर संभव कोशिश की और नौवां विकेट नहीं गिरने दिया. अंत में मैच बराबरी पर समाप्त हुआ.
स्नेह तानिया की जोड़ी ने दिलाई अश्विन-सुंदर की जोड़ी का याद
ऐसे में मैच के ड्रॉ होने के बाद सोशल मीडिया पर स्नेह राणा का नाम तेजी से ट्रेंड होने लगा. हर कोई ये इस नयी भारतीय महिला सुपरस्टार के बारे में जानने को बेताब था. लोगों को राणा और भाटिया के बीच की साझेदारी ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर रविचंद्रन अश्विन और वॉशिंगटन सुंदर की बीच हुई साझेदारी की याद ताजा कर दी.
पिता चाहते थे देश के लिए खेले बेटी
स्नेह राणा का जन्म 18 फरवरी, 1994 मौजूदा उत्तर प्रदेश( अब उत्तराखंड) के देहरादून में हुआ था. बेटी को क्रिकेटर बनाने के लिए पिता ने हर संभव कोशिश की. वो स्नेह को भारत के लिए खेलता देखना चाहते थे. साल 2014 में श्रीलंका के खिलाफ स्नेह को वनडे और टी20 डेब्यू करने का मौका मिला था लेकिन साल 2016 में घुटने की चोट के कारण वो टीम से बाहर हो गईं.
पिता दोबारा भारत के लिए खेलता देखना चाहते थे
पांच साल पहले मैच के दौरान ही स्नेह के घुटने में चोट लगी थी. जिसका उन्हें ऑपरेशन कराना पड़ा था. चोट से उबरने में उन्हें लंबा वक्त लगा लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. टीम में वापसी के लिए स्नेह पुरजोर मेहनत करती रहीं. पिता हर रोज उन्हें 12 किमी दूर क्रिकेट अकादमी में अभ्यास के लिए लेकर जाते थे.
वो बेटी को टीम इंडिया में वापसी कर दोबारा खेलते देखना चाहते थे. स्नेह ने घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करके टीम में वापसी की पटकथा तो लिख दी थी लेकिन टीम के ऐलान से कुछ दिन पहले उनके पिता का आकस्मिक निधन हो गया.
पूरा नहीं हुआ पिता का सपना, टीम के ऐलान से पहले हुआ निधन
बेटी को भारत के लिए दोबारा खेलता देखने का पिता को सपना पूरा नहीं हो सका. होनी को कुछ और ही मंजूर था. 27 वर्षीय स्नेह को दो महीने बाद स्नेह को इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय टीम में जगह मिली और उन्होंने टीम को तानिया भाटिया के साथ मिलकर हार के मुंह से बाहर निकालकर मैच ड्रॉ करा दिया. निश्चित तौर पर फादर्स डे के एक दिन पहले स्वर्ग में बैठकर बेटी को देश को हार से बचाता देख उन्हें गर्व हो रहा होगा.
डेब्यू मैच में मचाया धमाल
बतौर ऑलराउंडर खेलने वाली स्नेह राणा ने अपने डेब्यू टेस्ट में अर्धशतक(80*) जड़ने के साथ-साथ 4 विकेट भी लिए. इसके साथ ही वो टेस्ट क्रिकेट में ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बन गईं. उन्होंने पहली पारी में 39.2 ओवर में 131 रन देकर चार विकेट झटके थे. हालांकि पहली पारी में वो 2 रन बनाकर आउट हो गई थीं.
भाटिया के साथ मिलकर बचाया मैच
ऐसे में दूसरी पारी में हार से बचने के लिए खेल रही भारतीय टीम के लिए स्नेह आठवें नंबर पर पूजा वस्त्रकार के आउट होने के बाद बल्लेबाजी करने उतरीं तब टीम का स्कोर 189 रन था. 199 के स्कोर उपकप्तान हरमनप्रीत कौर आउट होकर पवेलियन लौट गईं और टीम को हार से बचाने की जिम्मेदारी स्नेह राणा के युवा कंधों पर आ गई.
लगाई रिकॉर्ड्स की झड़ी
ऐसे में उन्होंने शिखा पांडे के साथ आठवें विकेट के लिए 41 रन जोड़े. 240 के स्कोर पर शिखा के आउट होने के बाद स्नेह ने तानिया भाटिया के साथ मोर्चा संभाला और नौवें विकेट के लिए शतकीय साझेदारी(124*) करके इंग्लैंड के जीत के अरमानों पर पानी फेर दिया. स्नेह डेब्यू मैच में अर्धशतक जड़ने के साथ चार विकेट लेने वाली अमर सिंह और वॉशिंगटन सुंदर के बाद तीसरी भारतीय क्रिकेटर बनी हैं.
स्नेह की नाबाद 80* रन की पारी किसी भी भारतीय महिला क्रिकेटर की छठे या उससे निचले क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए बनाया गया सबसे बड़ा स्कोर है. 1934 में महिला टेस्ट क्रिकेट के आगाज से लेकर अबतक डेब्यू मैच में 50 से ज्यादा रन बनाने के साथ-साथ चार विकेट लेने का कारनामा केवल चार महिला क्रिकेटर कर चुकी हैं. स्नेह ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला हैं.
पिता को समर्पित किया प्रदर्शन
इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच के पहले दिन के खेल के बाद स्नेह ने कहा था, ‘कुछ महीने पहले मेरे पिता का निधन हो गया था. टीम की घोषणा होने से कुछ दिन पहले मैने उन्हें खो दिया. यह काफी कठिन था और भावुक भी क्योंकि वह मुझे भारत के लिये खेलते देखना चाहते थे लेकिन वह नहीं देख सके. यह जिंदगी का हिस्सा है लेकिन मैंने जो कुछ किया और आगे भी जो कुछ करूंगी, वह उन्हें ही समर्पित होगा.
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