Adani Group bribery probe: पहले हिंडनबर्ग की रिपोर्ट और अब एक नए मामले ने अडानी ग्रुप को जवाब देने पर मजबूर कर दिया है. एक्सचेंज फाइलिंग के अनुसार, अडानी समूह ने कहा कि समूह को रिश्वतखोरी के आरोपों की जांच के संबंध में अमेरिकी न्याय विभाग से कोई नोटिस नहीं मिला है.
दरअसल, पिछले हफ्ते ब्लूमबर्ग ने जानकार लोगों का हवाला देते हुए यह रिपोर्ट दी थी कि अमेरिकी अभियोजकों ने अडानी समूह की अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है. वे इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या अडानी इकाई रिश्वतखोरी में शामिल है?
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जांच में अडानी समूह के संस्थापक गौतम अडानी के आचरण पर भी गौर किया जा रहा है.
अडानी ग्रुप पर कैसी अमेरिकी जांच?
यह पूरा मामला एक एनर्जी प्रोजेक्ट से जुड़ा हुआ है. जब से एक और नए मामले की बात सामने आई है, तब से अडानी ग्रुप के कई शेयर गिर गए. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जांच में भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी Azure पावर ग्लोबल लिमिटेड की भी जांच की जा रही है और इसे न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के लिए अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय और वाशिंगटन में न्याय विभाग की धोखाधड़ी इकाई द्वारा देखा जा रहा है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि गौतम अडानी या उनकी कंपनी पर किसी गलत काम का आरोप लगाया गया है क्योंकि जांच में हमेशा मुकदमा नहीं चलाया जाता है.
रिपोर्ट्स पर अडानी ग्रुप ने क्या कहा?
अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड और अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड सहित सूचीबद्ध अदानी कंपनियों ने अलग-अलग फाइलिंग में कहा, 'उक्त लेख में उल्लिखित आरोप के संबंध में अडानी कंपनियों को अमेरिका के न्याय विभाग से कोई नोटिस नहीं मिला है. रिपोर्ट को झूठा कहा गया.
इससे पहले अडानी ग्रुप ने ब्लूमबर्ग से कहा था, 'हमें अपने चेयरमैन के खिलाफ किसी जांच की जानकारी नहीं है.' कंपनी ने कहा था, 'एक व्यावसायिक समूह के रूप में जो शासन के उच्चतम मानकों के साथ काम करता है, हम भारत और अन्य देशों में भ्रष्टाचार विरोधी और रिश्वत विरोधी कानूनों के अधीन हैं और उनका पूरी तरह से अनुपालन करते हैं.'
यह नया मामला पिछले साल हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट के बाद आया, जब अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कंपनी धोखाधड़ी वाले लेनदेन, लेखांकन धोखाधड़ी के साथ-साथ शेयर बाजार में हेरफेर में शामिल है, जिसके कारण अडानी समूह की कंपनियों में बड़े पैमाने पर स्टॉक बर्बाद हो गया था. उन्हें 111 अरब डॉलर मूल्य के निवेशकों की संपत्ति का नुकसान हुआ था.
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