मुरादाबाद: तुलसी के पौधे का धार्मिक महत्व होने के साथ ही औषधीय महत्व भी है. तुलसी एक ऐसा पौधा है जिसकी पत्ती, तना, जड़ सभी चीजों का औषधि बनाने में उपयोग किया जाता है. तुलसी के पौधे का उपयोग आयुर्वेद, होमियोपैथी, एलोपैथी व यूनानी दवाओं में किया जाता है.
जिस वजह से इसकी मांग बाजारों में भी बढ़ती जा रही है.
तुलसी की खेती से किसानों को लाभ
बाजार में तुलसी की बढ़ती मांग को देखते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने कुछ वर्षो से खेती की नई पहल शुरु की है. यूं तो पश्चिमी यूपी को गन्ना बेल्ट के नाम से जाना जाता है लेकिन यहां के किसान औषधीय पौधों को लेकर ज्यादा जागरूक नजर आ रहे हैं. इन जगहों में से मुरादाबाद के एक दर्जन से ज्यादा गांवों के किसानों ने तुलसी के पौधों की खेती करनी शुरू कर दी है.
किसानों से पूछने पर पता चला कि उन्हें तुलसी की खेती से अन्य फसलों के मुकाबले ज्यादा लाभ हो रहा है. एक तो तुलसी की खेती में सिर्फ 90 दिन का समय लगता है जिसमें मेहनत भी कम लगती है और लागत भी. किसान अब अपने खेतों में ही उगाए गए तुलसी के पौधों से निकाले गए बीज लेकर दूसरे किसानों और बाजारों में सप्लाई कर रहे हैं.
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सरकार दे रही है प्रोत्साहन
जिला उद्यान भी किसानों को औषधीय खेती के लिए प्रेरित कर रही है. तुलसी की खेती करने वाले किसानों को उद्यान विभाग प्रति हेक्टेयर लगने वाली लागत का 30 प्रतिशत किसानों को खेती के लिए देती है. इसकी वजह से किसानों को लागत डूबने का खतरा भी कम रहता है.
किसान भी तुलसी की खेती को नकदी फसल होने के चलते ज्यादा पसंद कर रहे हैं. ज्यादा से ज्यादा किसान औषधीय खेती से जुड़ रहे हैं और प्रति वर्ष तुलसी के खेती का रकबा बढ़ता जा रहा है.
3 प्रकार की होती है तुलसी
तुलसी का पौधा मुख्य रूप से 3 प्रकार की होती है. पहली हरी पत्ती वाली, दूसरी काली पत्ती वाली व तीसरी बैगनी रंग की पत्तियों वाली.
तुलसी के पौधों का विश्वस्तरीय बढ़ती मांग को देखते हुए किसान भी औषधीय पौधों के मांग के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं.
तुलसी के पौधों की खेती में बरतने वाली सावधानियां
तुलसी 90 दिनों में बरसात के समय की जाने वाली खेती है. तुलसी के पौधों में रोग और कीट बहुत ही कम लगते हैं.
परंतु इस में पानी 2 दिन भी नहीं ठहरना चाहिए, अगर पानी का ठहराव होता है तो फसल को काफी नुकसान पहुंचता है.
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क्या-क्या फायदे हैं तुलसी के
तुलसी के पत्तों का नियमित सेवन करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
शहद के साथ इसका सेवन करने पर किडनी में हुए पथरी का छह महीने में इलाज किया जा सकता है.
तुलसी के सेवन से कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने में मदद मिलती है.
तुलसी की पत्तियों के रस का नियमित सेवन से दिल संबंधी समस्याओं का उपचार होता है.