Vande Bharat Sleeper variant: राज्यों में बेहतर कनेक्टिविटी के लिए भारतीय रेलवे वंदे भारत ट्रेन के स्लीपर वेरिएंट को पेश करने की तैयारी कर रहा है. अधिकारियों ने बताया कि इस परियोजना से नई सरकार के कार्यकाल के पहले 100 दिनों के भीतर कश्मीर में महत्वपूर्ण रेल कनेक्टिविटी परियोजनाओं में तेजी आने की भी उम्मीद है.
नई सरकार के कार्यभार संभालने के तुरंत बाद रेलवे अपनी योजना को शुरू करेगा. भारतीय रेलवे की सहायक कंपनी चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) वंदे भारत ट्रेनों के स्लीपर कोचों को अंतिम रूप दे रही है.
चेयर वाली ट्रेनों के उलट इन (स्लीपर वेरिएंट) ट्रेनों को लंबी दूरी की रात भर की यात्रा के लिए डिजाइन किया गया है, जो यात्रियों को बेहतर आरामदायक सफर देगी. दूसरी ओर, 100-दिवसीय योजना में अगस्त 2026 तक अन्य उपकरणों की खरीद प्रक्रिया को पूरा करना भी शामिल है, जो बुलेट ट्रेन का ट्रायल रन शुरू करने के लिए आवश्यक है.
200 स्लीपर वेरिएंट पर चल रहा काम
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मोड के तहत, विभिन्न यात्री आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं को पूरा करने के उद्देश्य से 200 स्लीपर वेरिएंट वंदे भारत ट्रेनों पर काम प्रगति पर है. वर्तमान में चल रही वंदे भारत ट्रेनों में कुर्सी पर बैठने की व्यवस्था है, जिससे उनका उपयोग दिन के समय और छोटे मार्गों तक सीमित है जो कुछ घंटों में तय हो जाते हैं. ज्यादा लंबे सफर के लिए लेट की सुविधा होना जरूरी है.
कश्मीर के लिए प्लान तैयार
यात्रियों को आराम और सुविधा देने के अलावा, रेलवे अधिकारी कश्मीर क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. इस संबंध में एक महत्वपूर्ण परियोजना उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (USBRL) है, जो कश्मीर को राष्ट्रीय रेल नेटवर्क के साथ एकीकृत करेगी. जबकि भारतीय रेलवे के माध्यम से जम्मू में कटरा तक यात्रा संभव है, ट्रेन द्वारा श्रीनगर तक यात्रा का विस्तार करना महत्वपूर्ण है. 37,012 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ, USBRL पहल का लक्ष्य इस कनेक्टिविटी अंतर को पाटना है, जिससे पूरे क्षेत्र में निर्बाध यात्रा की सुविधा मिल सके.
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