क्या चार महीने बाद बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम? इन दो सरकारी कंपिनयों को हुआ बंपर घाटा

सरकारी तेल कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम को इस वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में बंपर घाटा झेलना पड़ा है. एचपीसीएल को इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में  में 10,196.94 करोड़ का नुकसान हुआ है. जिस वजह से आने वाले समय में एक बार फिर पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ सकते हैं. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 7, 2022, 08:44 AM IST
  • एक बार फिर से बढ़ सकते हैं पेट्रोल डीजल के दाम
  • सरकारी तेल कंपनियों को हो रहा है बंपर घाटा
क्या चार महीने बाद बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम? इन दो सरकारी कंपिनयों को हुआ बंपर घाटा

नई दिल्ली. देश में अप्रैल के महीने से ही पेट्रोल और डीजल के दामों में स्थिरता बनी हुई है. यानी पिछले चार महीनों से देश भर में तेल के दामों में कोई बढ़ोतरी नही हुई है. हालांकि, ऐसा हो सकता है कि, काफी जल्द एक बार फिर से पेट्रोल और डीजल के रेट में इजाफा देखने को मिल जाय. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह जो बताई जा रही है वह है पेट्रोल कंपनियों को हो रहा घाटा. 

हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड को हो रहा घाटा

मीडिया रिपोर्ट में चल रही खबरों की मानें तो सरकारी तेल कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम को इस वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में बंपर घाटा झेलना पड़ा है. एचपीसीएल को इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में  में 10,196.94 करोड़ का नुकसान हुआ है. ये किसी भी तिमाही में कंपनी को हुआ सबसे ज्यादा घाटा है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में कंपनी को 1,795 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था. वहीं जनवरी-मार्च तिमाही में यह आंकड़ा 1,900.80 करोड़ रुपए पहुंच गया था.

इंडियन ऑयल को भी हुआ नुकसान

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक हिंदुस्तान पेट्रोलियम के अलावा इस साल इंडियन ऑयल को भी नुकसान झेलना पड़ा है. इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) ने भी इस वित्त वर्ष की  अप्रैल-जून तिमाही में 1,992.53 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया था, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में इंडियन ऑयल का नेट प्रॉफिट 5,941.37 करोड़ रुपये और जनवरी-मार्च तिमाही में 6,021.9 करोड़ रुपये था. 

घाटा कवर करने के लिए दाम बढ़ा सकती हैं कंपनियां

बता दें कि, भले ही मौजूदा वक्त में क्रूड ऑयल 100 डॉलर के आस पास ट्रेड कर रहा हो, लेकिन पिछले कुछ महीनो में इसकी कीमत 120 डॉलर के आस पास पहुंच गई थी. उस दौरान घरेलू बाजारों में तेल की कीमतें स्थिर रहने से सरकारी तेल कंपनियों को घाटा सहना पड़ा था. मीडिया में चल रही खबरों की यदि मानें तो खुद को हुए इस नुकसान की भरपाई करने के लिए तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ा सकती हैं. 

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