नई दिल्ली: देश में कोरोना संकट संक्रमण(CoronaVirus) फैलने के दौरान बच्चों की पढ़ाई का तरीका पूरी तरह बदल गया है. किताबों में मिलने वाली शिक्षा अब क्लासरूम से सिमटकर फौन या लैपटॉप(Mobile, Laptops) में आ गई है. महामारी के दौरान टेक्नोलाजी का ऐसा उपयोग छात्र-छात्राओं के लिए किसी वरदान की तरह साबित हुआ है. हालांकि छात्रों की एक बड़ी संख्या है जो अभी भी कई कारणों के चलते इसका लाभी नहीं उठा पा रहे हैं. ऐसे में हर छात्र के लिए ऑनलाइन शिक्षा एक समान हो, इस मांग वाली याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्यों सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
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सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका गुड गवर्नेंस चैम्बर्स (Good Governance Chambers) नाम से एक एनजीओ ने दाखिल की है. एनजीओं के वकील दीपक प्रकाश ने कहा कि कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि कोरोना काल में सभी छात्रों को शिक्षा नहीं मिल पा रही है. खासकर गरीब परिवारों के बच्चे घरों में बंद हैं, जिनके पास ना कंप्यूटर है और ना ही इंटरनेट कनेक्टिविटी. उन्होंने आगे कहा कि ऐसे बच्चों की संख्या लाखों में है जिनके माता-पिता मजदूर हैं और जो शहरों में रोजी रोटी छोड़कर अपने घरों को लौटे हैं. उन्होंने कहा कि अमीर घरों के बच्चों को शहरों में ऑनलाइन शिक्षा मुहैया कराई जा रही है, लेकिन गरीब बच्चों को नहीं.
सरकारों से Online Education के लिए नीति बनाने की मांग
इसके अलावा एक सवाल यह भी है कि कौन सा स्कूल और कौन सा शिक्षक बच्चों को ऑनलाइन पर क्या शिक्षा दे रहा है, यह भी साफ नहीं है. इसमें भी एक समानता होनी चाहिए. इन्हीं सब के चलते याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि वह केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को निर्देश दे कि वे कोरोना काल के मद्देनजर ऑनलाइन शिक्षा के लिए एक समान पाठ्यक्रम व कार्यक्रम तैयार करें और सभी छात्रों को मुफ्त ऑनलाइन शिक्षा मुहैया कराने की व्यवस्था करें.
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