नई दिल्लीः अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के किडुंग पेमुलिहान जीवा आश्रम द्वारा 4 अगस्त को उनके स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में एक विशेष भोजन वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इस अवसर पर पूरे भारतवर्ष में 10,000 से भी अधिक गरीबों को भोजन वितरित किया जाएगा. डॉक्टर संजय साहा और उनके विभिन्न स्थानों के अनुयायी इस महा अभियान का संचालन करेंगे.
उनका उद्देश्य गरीबों की सहायता करना है, और इस प्रकार की पहल के माध्यम से वे सीधे-सीधे समाज की सेवा कर रहे हैं. डॉ. संजय साहा का कहना है, "हम गरीबों को खाना खिलाते समय फोटो या वीडियो नहीं बनाते क्योंकि धर्म का काम दिखावे के लिए नहीं होता."
डॉ. संजय साहा: एक संक्षिप्त परिचय
डॉ. संजय साहा, जिन्हें "की रामा" के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय अध्यात्म और ऊर्जा चिकित्सा के क्षेत्र में एक प्रमुख व्यक्तित्व हैं. उनका जन्म 3 जनवरी 1977 को मध्य अंडमान के रांगट में हुआ था. बचपन से ही ज्ञान की प्यास ने उन्हें वैकल्पिक चिकित्सा के उन्नत अध्ययन की ओर अग्रसर किया. उन्होंने रैकी , हिप्नोथेरेपी ओर मनोविज्ञान में विशेषज्ञता हासिल कर एमडी और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की.
डॉ. साहा ने ऊर्जा चिकित्सा की विभिन्न विधाओं जैसे होली फायर विश्व शांति रैकी और कुंडलिनी रैकी में महारत हासिल की है. उनके योगदान को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, ब्रावो वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और हार्वर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में मान्यता प्राप्त हुई है.
उन्होंने रामायण, महाभारत और बाइबिल जैसे पौराणिक ग्रंथों का अध्ययन कर पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों, पंच तत्व और चक्र सक्रियण की गहरी समझ विकसित की है. डॉ. साहा ने अपने शिक्षाओं से 50,000 से अधिक छात्रों को आत्म-साक्षात्कार और समग्र चिकित्सा की दिशा में मार्गदर्शन किया है. उनका दृष्टिकोण प्राचीन नियमों पर आधारित है, जिसे वे आधुनिक युग में भी प्रचारित करते हैं.
डॉ. साहा और उनके अनुयायियों का यह प्रयास गरीब लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण योगदान कर रहा है. उनके द्वारा 4 अगस्त को आयोजित भोजन वितरण कार्यक्रम न केवल उनकी सामाजिक सेवा को उजागर करता है बल्कि आध्यात्मिक और मानवीय मूल्यों की दिशा में उनकी अटूट प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है.