चौकीदार और अंग्रेजी मेम का अनोखा इश्क, 50 साल बाद पूरी होगी प्यार की दास्तां!

प्यार एक ऐसा शब्द है जिसपर पूरी दुनिया कायम है, प्यार और विश्वास से ही जिन्दगी का हर एक रिश्ता चलता है. बात अगर पहले प्यार की जाए तो, उसे भूलना बेहद मुश्किल है. इसी बीच सोशल मीडिया पर एक 82 वर्षीय व्यक्ति के पहले प्यार की लव स्टोरी काफी वायरल हो रही है. 

Written by - Sandhya Yadav | Last Updated : Apr 3, 2021, 03:58 PM IST
  • जैसलमेर के वीरान गांव कुलधरा में रहते हैं बुजुर्ग, प्रेमिका ने लिखी चिट्ठी
  • 82 वर्षीय गेटकीपर की पहले प्यार की स्टोरी सोशल मीडिया पर वायरल
चौकीदार और अंग्रेजी मेम का अनोखा इश्क, 50 साल बाद पूरी होगी प्यार की दास्तां!

अलवर: पंक्षी... नदियां... पवन के झोंके.... कोई सरहद ना इन्हें रोके... साल 2000 में आई फिल्म रिफ्यूजी का यह गीत जब रिलीज हुआ,  तो न जानें कितने ही लोगों को अपनी पहली मोहब्बत याद आ गई, जो कभी सरहदों या मजबूरियों की वजह से उनसे दूर हो गई. पर कहते हैं न कि अगर इश्क सच्चा हो तो दूरियां कोई मायने नहीं रखतीं. प्यार करने वाला अपने महबूब को दुनिया के किसी भी कोने से ढूंढ ही निकालता है.

ऐसी ही एक अनूठी प्रेम कहानी राजस्थान के अलवर से आई है. ये कहानी है जीवन के 82 बसंत देख चुके एक गेटकीपर की. ये जिस अंदाज में अपने इश्क की दास्तां सुनाते हैं, उस वक्त उनकी आंखों में प्यार की सच्चाई की चमक साफ नजर आती है. खैर बढ़ते हैं इश्क की उस दास्तां की ओर, जो मुकम्मल तो नहीं हुई, लेकिन इसे अधूरी भी नहीं कहा जा सकता.

कहेंगे भी तो कैसे? जब कोई 50 साल बाद, सात समुंदर पार, अपने चाहने वाले को अचानक कहीं से ढूंढ ले तो शायद उस इश्क को अधूरा नहीं कहेंगे. इश्क की ये कहानी 19वीं शताब्दी की है, जब राजस्थान के कुलधरा गांव को भूतिया करार दिया गया, उसके बाद यहां की आबोहवा से हर कोई दूर हो गया. रातों-रात लोगों ने गांव खाली कर दिया, लेकिन एक शख्स ने वहीं रुकने का फैसला किया और अपनी जिंदगी के कई दशक अपनी प्रेमिका के इंतजार में वहीं गुजार दिए.

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हाल ही बॉम्बे मैग्जीन के साथ उन्होंने अपनी प्रेम कहानी की जिक्र किया, तो उसे पढ़कर न जाने कितने ही लोगों को अपनी मोहब्बत की कहानी याद आ गई, और वो पुरानी-सुनहरी यादों में खो गए.

कैसे शुरू हुई थी गेट कीपर की प्रेम कहानी

जवानी के दिनों को याद करते हुए 82 साल के गेटकीपर बताते हैं कि जब मैं मरीना से पहली बार मिला था तब मेरी उम्र 30 के आस-पास थी. वो डेजर्ट सफारी करने के लिए ऑस्ट्रेलिया से जैसलमेर आई थी. मरीना का सफर 5 दिन का था और इस दौरान मैंने उन्हें ऊंट की सवारी करना सिखाया. चमकती आंखों से गेटकीपर बताते हैं कि यह इश्क 1970 का था और 'उन दिनों पहली नजर में ही प्यार हो जाता था.' ऐसा ही उनके और मरीना के साथ हुआ था.

दोनों ऐसे हो चुके थे इश्क में गिरफ्तार

एक साथ पांच दिन कैसे गुजर गए, यह दोनों को पता ही नहीं चला. ऑस्ट्रेलिया लौटने से पहले ही उसने मुझसे (गेटकीपर) मुहब्बत का इजहार कर दिया.उसने मुझसे 'आई लव यू' कह दिया. मरीना को इस बात का इल्म भी नहीं था कि वो जिससे अपने प्यार का इजहार कर रही है, वह पहले ही उसके इश्क में गिरफ्तार हो चुका है.

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एक खूबसूरत विदेशी मेम के मुंह से अपने लिए जादुई शब्दों को सुनकर गेटकीपर सन्न से रह गए. उनकी बोलती बंद हो गई और हलक से एक शब्द भी बाहर नहीं निकला, वो जवाब में कुछ बोल ही नहीं पाए. उनके दिल में इतनी हलचल थी कि क्या बोलें, उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था. ऐसे में मरीना उनकी खामोशी को ही उनका जवाब मानकर वापस ऑस्ट्रेलिया चली गईं.

चल पड़ी इश्क की गाड़ी

कुछ दिन बीतने के बाद मरीना ने गेटकीपर को ऑस्ट्रेलिया बुलाया. पर एक टूरिस्ट गाइड के लिए सात समुंदर पार जाकर अपनी माशूका से मिलना आसान नहीं था. वो इस बारे में घरवालों को भी नहीं बता सकते था. उन दिनों प्यार करना किसी जुर्म से कम नहीं था, खासकर सात समंदर पार बसे परदेसी से.

लेकिन कहते हैं न कि प्यार के परिदों के लिए दूरियां मायने नहीं रखतीं. बस फिर क्या था गेटकीपर साहब ने किसी तरह तीस हजार का लोन जुटाया और परिवार को बताए बगैर झोला उठाकर अपनी महबूबा से मिलने निकल पड़े. गेटकीपर ऑस्ट्रेलिया जाकर तीन महीने रुके ये वक्त दोनों के लिए किसी जादुई लम्हे से कम नहीं था. इस दौरान मरीना ने गेटकीपर को अंग्रेजी सिखाई और तो बदले मे उन्होंने मरीना को घूमर सिखाया.

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तीन महीने बीतने ही वाले थे कि अचानक मरीना ने गेटकीपर के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया और ऑस्ट्रेलिया में सेटल होने की बात कही. ये बात सुनने में जितनी हसीन लग रही थी, लेकिन हकीकत में उसे अंजाम दे पाना उतना ही मुश्किल था. मरीना ऑस्ट्रेलिया नहीं छोड़ सकती थीं और गेटकीपर अपने वतन भारत को. ये मोहब्बत का वह मोड़ था, जहां से शायद दोनों को अलग-अलग रास्तों के लिए एक-दूसरे का हाथ छोड़ना था. होनी को भी यही मंजूर था. दोनों के रास्ते अलग हो गए, गेटकीपर अपने वतन लौट आए लेकिन दोनों के दिलों के बीच की दूरियां कभी कम नहीं हुईं.

गेटकीपर ने कर ली शादी

गेटकीपर जब वापस भारत लौटे तो समाज और परिवार के दबाव में आकर अपना घर बसा लिया. कुलधरा की उसी जगह नौकरी करने लगे. गेटकीपर अक्सर ही मरीना को याद करते हुए सोचते, क्या वो भी मुझे याद करती होगी? कहीं उसने शादी तो नहीं कर ली? ये वो सवाल थे, जिन्हें गेटकीपर अक्सर तन्हाई में खुद से पूछते थे.

समय के साथ पहले प्यार की यादें उस पुराने चश्मे के सरीखे धुंधली होती गईं, जिसपर रगड़ पड़ने के बाद दिखाई देना बंद हो जाता है. इधर गेटकीपर के बच्चे बड़े हो गए. पत्नी स्वर्ग सिधार गईं. और गेटकीपर एक बार फिर जीवन में अकेले पड़ गए.

मरीना के खत ने बना दिया जवान
उम्र के 82 पड़ाव में जब सब कुछ सामान्य हो गया था. वह मरीना को भूलकर अपनी जिंदगी जी रहे थे कि अचानक एक दिन मरीना का खत आ गया. जिस शख्स ने कभी खुदा के करिश्मे पर भरोसा नहीं किया था, वह मरीना के खत को पाकर खुशी से झूम उठा. उन्हें इस बात का यकीन नहीं हो रहा था कि किसी की मोहब्बत इस तरह 50 साल बाद ढूंढ कर वापस आ सकती है वो भी सात समंदर पार से.

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खत में मरीना ने गेटकीपर को बताया कि उन्होंने शादी नहीं की और भारत आने वाली हैं. ये बात पढ़कर उनके जीवन में एक बार फिर बहार लौट आई. खत मिलने के बाद से दोनों के बीत फोन पर बातों का अंतहीन सिलसिला शुरू हो गया. हर दिन दोनों के बीच बात हो रही है और एक दूसरे की आवाज सुने बगैर उनका दिन पूरा नहीं होता. गेटकीपर ने अपनी यह दास्तां जब इंस्टाग्राम पेज ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे को सुनाई, तो पांच दशक बाद अपने प्यार को वापस पाने की खुशी उनके एक-एक अल्फाज में नजर आ रही थी.

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