नई दिल्ली. नेपाल की कम्यूनिस्ट सरकार ने चीन के भड़कावे में आकर भारत से दुश्मनी को पर मुहर लगा दी है. बरसों से चली आरही भारत-नेपाल मैत्री को तज करके चीन के दिखाये सपनों ने नेपाल को इतना अन्धा कर दिया कि उसने भारत जैसा एक पुराना और सच्चा मित्र खो दिया है.
11 सांसदों ने किया किनारा
जबरिया पैदा किया गया प्रधानमंत्री केपी ओली का सीमा विवाद खुद उनके लिये कहीं परेशानी का सबब न बन जाये. क्योंकि नये नक्शे पर अड़े ओली को झटके लगने शुरू हो गये हैं. नये नक्शे को संविधान संशोधन करके पक्का करने की जिद में उनके देश में ही उनका विरोध शुरू हो गया है.
सोलह सांसदों ने छोड़ा साथ
प्रधानमन्त्री केपी ओली को आने वाले दिनों में अपनी सीमा के बाहर से क्या-क्या कठिनाइयां पेश होनी हैं, ये तो नहीं पता किन्तु इसका अनुमान अवश्य है कि उनकी अपनी पार्टी में उनके विरुद्ध विरोध ने जन्म ले लिया है और 16 सांसदों ने नक्शे पर वोटिंग से अपना हांथ खींच लिया है. कहीं आगे जा कर असंतोष की ये चिंगारियां उनके विरुद्ध विद्रोह में न बदल जायें, अब ये सोचना पड़ेगा ओली को.
नेपाल को भी चीन देगा धोखा
जिस तरह चीन पाकिस्तान को भारी रकम देकर अपना पिट्ठू बना रहा है वही वह नेपाल के साथ भी कर रहा है. पाकिस्तान और नेपाल दोनो अफ्रीकी देशों की मिसाल से नहीं सीखना चाहते. गरीब और छोटे अफ्रीकी देशों को भारी रकम देकर जिस तरह चीन ने आज उन पर कब्जा जमा लिया है वही एक दिन इन दोनो देशों के साथ भी होना है और भगवान न करे आने वाला दक्षिण एशियाई इतिहास इस दिन का साक्षी बने.
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