नई दिल्ली. हाल ही में चीन ने यह कह कर भारत और बांग्लादेश की चिंताएं बढ़ा दी थीं कि वह ब्रह्मपुत्र नदी में बाँध बनाने जा रहा है. चीन की इस साजिश से दोनों पड़ोसी देशों के लिए जलसंकट खड़ा हो सकता है. अब चीन की चालबाजी को मिलने वाला है एक जोरदार जवाब और ये है ब्रह्मपुत्र पुल. ब्रह्मपुत्र पुल से आसियान के कई देशों को फायदा पहुँचने वाला है.
मणिपुर के मोरेह से होगी शुरुआत
ब्रह्मपुत्र पुल मूल रूप से एक त्रिपक्षीय हाईवे है जिसके निर्माण की शुरुआत मणिपुर से होगी. यह भारत में देश का सबसे लंबा पुल होगा जो मणिपुर के सीमावर्ती शहर मोरेह से शुरू हो कर ब्रह्मपुत्र नदी पर बनने जा रहा है. देश की छह प्रस्तावित पुल परियोजनाओं में से एक ब्रह्मपुत्र पुल भूटान, पूर्वोत्तर भारत तथा वियतनाम को आपस में जोड़ेगा.
भारत और जापान मिलकर बनाएंगे
सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण यह ब्रह्मपुत्र पुल भारत और जापान मिल कर बनाएंगे. ब्रह्मपुत्र पुल को न केवल जापान और भारत के मध्य विकसित हो रही रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक चिन्ह माना जा रहा है, अपितु यह इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती घुसपैठ को संतुलित करने का भी कार्य करेगा.
आसियान के देशों के लिए लाभप्रद
यह पुल मणिपुर से शुरू हो कर भूटान में खत्म होगा. उन्नीस किलोमीटर की लम्बाई वाला यह धुबरी-फुलबारी पुल के नाम से भी जाना जाएगा जो कि असम के धुबरी और मेघालय के फुलबारी को भी जोड़ेगा. यह ब्रह्मपुत्र पुल आसियान के कई देशों के लिए फायदेमंद साबित होगा. इसके निर्माण से दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन अर्थात आसियान के म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया व लाओस आदि सदस्य देशों को फायदा पहुंचेगा.
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