हांगकांग पर ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने चीन से कहा सुधर जाओ !

सिर्फ विश्व स्वास्थ्य संगठन के मंच पर ही चीन को 120 देश नहीं घेर रहे हैं, बल्कि उसके अलावा भी दुनिया में चीन की बेजा हिमाकतों के खिलाफ नए-नए मोर्चे खुल रहे हैं. अब हांगकांग मामले पर चीन को ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने झाड़ पिलाई है जबकि इसके पहले अमेरिका भी इस मामले पर आक्रामक ढंग से चीन का विरोध कर चुका है..    

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 24, 2020, 09:04 AM IST
    • चीन से ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने कहा सुधर जाओ !
    • चीनी कम्युनिस्ट पार्टी है लोकतंत्र विरोधी
    • हांगकांग को हड़पने की कोशिश है चीन की
    • तीनों देशों ने संयुक्त बयान जारी किया
हांगकांग पर ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने चीन से कहा सुधर जाओ !

नई दिल्ली.  हालांकि चीन की बेशर्मी भी जगजाहिर है इसलिए हांगकांग मामले पर ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया का उसके खिलाफ साथ आने से और उसे चेताने से चीन को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दुनिया के सभी देशों को साथ आ कर चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की अकाल ठिकाने लगानी होगी.  

 

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी है लोकतंत्र विरोधी 

हांगकांग एक स्वतंत्र राष्ट्र है और वह ताइवान की तरह ही अपनी स्वतंत्रता के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहता. चीन आंखे दिखा कर उस पर कब्जा करना चाहता है जो दुनिया के देश होने नहीं देंगे. हांगकांग के खिलाफ बनाये नए क़ानून पर ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया साथ आए और इन तीनो देशों ने चीन को अपनी बेजा हरकत से बाज आने को कहा है.

तीनों देशों ने संयुक्त बयान जारी किया 

हांगकांग में लोकतंत्र की मांग को दबाने की चीन की साजिश नाकाम हो सकती है क्योंकि सबसे पहले तो अमेरिका ने उसका विरोध किया उसके अब दुनिया के प्रमुख देश चीन के खिलाफ खड़े हो गए हैं. ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने एक संयुक्त बयान जारी किया है और चीन की इस तरह की हरकतों पर गंभीर चिंता जताई है. इस बयान में तीनों देशों ने इस कानून संशोधन की प्रक्रिया तत्काल रोकने की मांग की है और प्रस्तावित कानून को एक राष्ट्र दो व्यवस्था के सिद्धांत का उल्लंघन करार दिया है.

 

मूल रूप से 'एक राष्ट्र दो व्यवस्था' ही लागू थी 

डेढ़ सौ साल तक हांगकांग पर शासन करने के बाद आज से तेईस साल पहले ब्रिटेन ने वर्ष 1997 में  हांगकांग को चीन को सौंपा था. उस समय एक राष्ट्र दो व्यवस्था के सिद्धांत के अंतर्गत ही यह प्रक्रिया सम्पूर्ण की गई थी. लेकिन अब चीन हांगकांग को खाने के चक्कर में है और वहां लोकतंत्र की मांग को दबाने की नित नई साजिशें कर रहा है. प्रस्तावित नया कानून भी इसी साजिश का हिस्सा है. 

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