नई दिल्ली: एक तरह पूरी दुनिया चमगादड़ चीन के फैलाए हुए एक वायरस का शिकार बनकर मुसीबत से घिरी हुई है. वहीं कोरोना का सबसे भयानक प्रकोप झेलने वाले देश अमेरिका में गृहयुद्ध के हालात बनते जा रहे हैं. लेकिन, इस बीच ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाई है.
ऐसे हालात में ट्रंप को PM मोदी क्यों याद आए?
दुनिया के सुपरपावर अमेरिका में तबाही ने चौतरफा दस्तक दी है. एक तरह कोरोना के कहर से अमेरिका कराह रहा है, वहीं गृहयुद्ध और प्राकृतिक आपदाएं अमेरिका के लिए चुनौती बनकर खड़ी हैं. लेकिन ऐसे में इस मुश्किल वक्त में आखिरकार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही याद क्यों आई? इसके पीछे कई फैक्टर हैं, जो चीन के लिए मुसीबत की सीढ़ी साबित हो सकती है.
दरअसल, अमेरिका के बिगड़ते हालात के बीत भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने फोन पर बातचीत की. खुद पीएम मोदी ने इस बात की जानकारी दी कि उसके दोस्त और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच कई अहम मुद्दों पर बातचीत हुई. ऐसे में इस बात में कोई संशय नहीं है कि अमेरिका में चल रहे बवाल के हालात पर मोदी-ट्रंप के बीच चर्चा नहीं हुई हो. ऐसे में उम्मीद ये भी है कि पीएम मोदी ने भारत-चीन सीमा विवाद पर भी ट्रंप से चर्चा हो सकती है.
हालात से निपटने के लिए ट्रंप को मोदी की जरूरत!
दुनिया के सबसे बड़े और शक्तिशाली देश अमेरिका में गृहयुद्ध जैसे हालात को साफ दिखाई दे रहे हैं. एक छोटी सी घटना का नतीजा ये है कि अमेरिका के हालात बेकाबू हो रहे हैं, व्हाइट हाउस के बाहर प्रदर्शन करने वाले लोगों का तांता लगा हुआ है. स्थिति ये हो गई है कि सेना को सड़कों पर उतारने जैसी नौबत आ गई है. ऐसे में पीएम मोदी ने अमेरिका के प्रदर्शनों पर चिंता जाहिर की. लेकिन अमेरिका में भारतीयों का समर्थन ट्रंप के लिए मायने रखता है. इसकी वजह आपको समझाते हैं.
दरअसल, अमेरिका में भारतीय समुदाय बेहद प्रभावशाली है. वहां जो गृहयुद्ध की स्थिति है, उसमें भारतीयों का समर्थन ट्रंप के लिए बेहद आवश्यक है. ट्रंप को इस बात का पूरा अंदाजा है कि इस मामले में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही उनकी मदद कर सकते हैं. क्योंकि वहां स्थिति बेहद गंभीर होती जा रही है. यही वजह हो सकती है कि डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी के सामने इसके लिए गुहार लगाई हो.
भारत-अमेरिका बन सकते हैं एक-दूसरे के संकटमोचक
निश्चित तौर पर यदि दोनों देशों की वर्तमान परिस्थितियों को देखा जाए तो अमेरिका इस बात को भली-भांति जानता और समझता है कि इस मुश्किल वक्त में उसे चुनौती को मात देने के लिए भारत के साथ की जरूरत होगी. यहां ये समझने की आवश्यकता है कि अमेरिका, जो सुपरपावर है वो अंदरूनी संकट यानी गृहयुद्ध के हालात से घिरा हुआ है. जिसके लिए भारत उसकी माकूल मदद कर सकता है. वहीं भारत को बार-बार चीन घुड़की दिखा रहा है. यानी भारत को बाहर से संकट है. ऐसे हालात में अमेरिका और भारत दोनों ही देश एक-दूसरे की मदद कर सकते हैं.
ये हर कोई जानता है कि वर्तमान में अमेरिका के हालात ऐसे हैं कि वहां सचमुच स्थिति बेहद ही गंभीर है, जिससे ट्रंप के हाथ पांव फूले हुए हैं. वहां लेफ्ट लॉबी ने भी भारी दबाव बना रखा है. जो ट्रंप के लिए एक तगड़े झटके के समान है. लेकिन, इस बात में कोई संदेह नहीं है कि ऐसे हालात में भारत और अमेरिका एक दूसरे के संकटमोचक साबित हो सकते हैं.
चीन के खिलाफ भी अमेरिका से होगा करार?
सीधे तौर पर अगर ये कहें कि अमेरिका को इस हालात से निकलने के लिए भारत की तरफ से 'राहत मंत्र' मिलने की संभावना है, तो वहीं निश्चित तौर पर इसके बदले में चीन के खिलाफ चल रहे तनातनी में भारत को अमेरिका के साथ की उम्मीद होगी. तो क्या ऐसी संभावना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हुई बातचीत में भारत ने अमेरिका से चीन के खिलाफ भी करार किया जा सकता है?
भारत-चीन के बीच युद्ध जैसे हालत में अमेरिका का रुख
लद्दाख बॉर्डर पर चीन की चालबाजी किसी से नहीं छिपी है. घुसपैठ के जरिए वो भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन शायद वो इस बात को भूल गया है कि भारत चिल्लाने में नहीं बल्कि निशाना लगाने में यकीन रखना है. चीन चाहें जितना भी बौखलाहट दिखा ले, लेकिन भारत की नीतियों के आगे ड्रैगन की एक नहीं चलने वाली है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस कोरोना वायरस के लिए पूरी दुनिया का गुनहगार कई बार चीन को बता चुका है. ट्रंप ने बार-बार चीन की करतूत के लिए उसे लताड़ लगाई है. इतना ही नहीं, ट्रंप ने बार-बार इस बात की ओर इशारा किया है कि वो भारत के हर कदम पर साथ हैं. फोन पर बातचीत के दौरान ट्रंप ने USA में आयोजित होने वाले अगले G-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत के पीएम नरेंद्र मोदी को निमंत्रण भी दिया.
ऐसे में ये समझना मुश्किल नहीं है कि भारत और चीन के बीच युद्ध के हालात में ट्रंप खुलकर भारत का साथ देने का भरोसा दे सकते हैं और ये करार उस वक्त होना और भी अधिक जरूरी हो जाता है, जब अमेरिका ऐसे हालातों से जूझ रहा हो.
Had a warm and productive conversation with my friend President @realDonaldTrump. We discussed his plans for the US Presidency of G-7, the COVID-19 pandemic, and many other issues.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 2, 2020
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जिस प्रकार से अमेरिका के बिगड़े हालात को सुधारने के लिए ट्रंप भारते गुहार लगा रहे हैं. उसी तरह भारत भी चीन से खिलाफ अमेरिका से करार की उम्मीद रखता है. ऐसे मुश्किल हालात में दोनों ही देश एक दूसरे की मदद कर सकते हैं. जो चीन के लिए बेहद ही घातक साबित होना तय है.
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