भारत की इन 3 नीतियों से चारो खाने चित हो जाएगा चीन

कोई भी समझदार देश विदेश नीति से जुड़े फैसले आक्रोश में नहीं लेता. इसमें जोश की जगह होश को महत्व दिया जाता है. आखिर, चीन के खिलाफ कोई कदम उठाने के लिए भारत कितना तैयार है? भारत की तीन नीतियों को समझिए..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 2, 2020, 08:03 PM IST
    • भारत की तीन नीतियों से ढेर होगा चीन
    • तर्कों को मज़बूत करने वाला भारतीय त्रिशूल
    • कूटनीति, अर्थनीति और सामरिक नीति
भारत की इन 3 नीतियों से चारो खाने चित हो जाएगा चीन

नई दिल्ली: वो कहावत आपने सुनी होगी कि भौंकने वाले कुत्ते काटने नहीं है. लेकिन चीन की हरकत देखकर इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि वो जानबूझकर भारत को घुड़की दिखा रहा है. जिसका अंजाम उसके लिए काफी बुरा होने वाला है. भारत के पास तीन नीतियों से मिलकर बना मास्टर प्लान है. ये तीन नीतियां भारत की कूटनीति, अर्थनीति और सामरिक नीति हैं. यही त्रिशूल नए इंडिया पर भारत के लोगों का भरोसा बढ़ाता है.

भारत की तीन नीतियों से ढेर होगा चीन

चीन और भारत का मौजूदा रिश्ता, ऐसे दो समझदार लोगों का रिश्ता है. जो आक्रामक तेवर दिखाने से पहले ये ज़रूर परखना चाहेंगे कि किसके तरफ कितने लोग हैं. और कूटनीति के इस मैदान में कम से कम भारत अकेला कतई नहीं है. भारत के साथ अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देश कवच बनकर खड़े हैं.

चीन के खिलाफ अपने तर्कों को मज़बूत करने के लिए आपको भी भारत के उस त्रिशूल के बारे में जानना चाहिए, जो तीन धारदार नीतियों से बना है. कूटनीति, अर्थनीति और सामरिक नीति, तो सबसे पहले कूटनीति की बात करते हैं.

1). भारत की कूटनीति चीन को पड़ेगी भारी

चीन कोई भी कदम उठाने से पहले भारत और अमेरिका के मौजूदा रिश्ते की अनदेखी नहीं कर सकता है. चीन को इस बात की चिंता है कि अमेरिका और भारत की दोस्ती लगातार मजबूत होती जा रही है. जब पिछले दिनों अमेरिका ने भारत और चीन के बीच मध्यस्थता की इच्छा जताई तो चीन की सरकार ने बिना देर किए विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की बात कही.

कोरोना वायरस के इलाज के लिए जब भारत ने अमेरिका को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन की सप्लाई की. तब राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एक कृतज्ञ मित्र की तरह प्रधानमंत्री मोदी को शुक्रिया कहा था. ट्रंप ने कहा था कि वो इस मदद को नहीं भूलेंगे, उन्होंने इस लड़ाई में मजबूत नेतृत्व के साथ पूरी मानवता की मदद करने के लिए भारत को धन्यवाद कहा था.

रूस ने भी इस मुद्दे पर कहा है कि उसे पूरा भरोसा है कि भारत और चीन किसी निर्णायक नतीजे पर पहुंचेंगे और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिशन ने तो ट्विटर पर समोसे और चटनी के साथ पहुंच गए और उन्होंने  लिखा कि वो इसे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साझा करना चाहते हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने भी उसी गर्मजोशी के साथ जवाब देते हुए कहा कि एक बार कोरोना को हरा दें, फिर एक साथ समोसे का आनंद लिया जाएगा.

मतलब साफ है कि भारत के लिए इन देशों का साथ एक सुरक्षा कवच की तरह है. यही वो कूटनीति है जो चीन के रवैये को काबू में रखेगी. भारत के त्रिशूल की दूसरी धारदार नीति यानी अर्थनीति है.

2). हिन्दुस्तान की अर्थनीति से परास्त होगा ड्रैगन

जापान जैसे देशों की कंपनियां जब चीन से हटकर भारत में निवेश पर विचार कर रही हैं, तो ये एक तरह से भारत का ही साथ दे रही हैं. ये भारत की अर्थनीति का ही कमाल है कि कम लागत, सस्ती ज़मीन और तकनीक के आधार पर विदेशी कंपनियां अब निवेश के लिए भारत को अपना पसंदीदा देश मान रही हैं. 

भारत की अर्थनीति की एक खासियत देश की आत्मनिर्भता भी है. कोरोना इसका बड़ा उदाहरण है. जिस पीपीई किट को लेकर भारत दूसरे देशों पर निर्भर था, उसका उत्पान कम लागत में अपने ही देश में हो रहा है. चीन जो टेस्टिंग किट भारत को 17 रुपये में दे रहा था, भारत उसे सिर्फ एक रुपये 70 पैसे में बना रहा है.

इसी तरह एन 95 मास्क अब भारत ना केवल बना रहा है, बल्कि इसका निर्यात भी कर रहा है. हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन यानी HCQ के लिए तो पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही हैय भारत ने करीब 120 देशों को इस दवाई का निर्यात किया और कई जरूरतमंद देशों को ये दवा मुफ्त में भी दी गई.

3). भारत की सामरिक नीति के आगे नहीं टिक पाएगा चीन

इसी तरह भारत के त्रिशूल की तीसरी धारदार नीति के तौर पर सामरिक नीति है. इस समय ground force की बात करें, तो करीब 14 लाख सैनिकों के साथ भारत आज दुनिया की सबसे बड़ी सेना है. जबकी 2015 के बाद से चीन अपने ground force को लगातार कम कर रहा है. जापान में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन में अब 10 लाख से भी कम सैनिक हैं क्योंकि चीन अपना सारा ध्यान वायुसेना और नौसेना के विस्तार में लगा रहा है.

इतना ही नहीं, माना जाता है कि चीन की सेना भ्रष्टाचार की शिकार है और सेना में ट्रेनिंग का भी अभाव है. यानी वहां की सेना मेड इन चाइना सामान की तरह हो गई है, जो देखने में ठीक ठाक लगते हैं लेकिन टिकाऊ नहीं होते.

दूसरी ओर भारतीय सेना देश के  135 करोड़ नागरिकों के लिए साहस और शौर्य का प्रतीक है और सबसे बड़ी बात ये है कि नए भारत की सेना के पास नीति और नीयत भी नई है.

ये नए हिन्दुस्तान नई सामरिक नीति ही है, जिसमें सीमा पर चीन ने अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाई तो भारत ने भी अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी. यानी भारत ने चीन के आक्रामक रवैये के सामने किसी भी दबाव में आने से इनकार कर दिया.

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भारत चीन को ठीक उसी तरीके से जवाब दे रहा है, जैसा जवाब दो वर्ष पहले उसने डोकलाम में दिया था. यानी चीन भी समझ गया है कि अब उसे जैसे को तैसा के लिए तैयार रहना पड़ेगा. और ऐसे में बातचीत का रास्ता ही आसान और सुरक्षित रास्ता है.

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