नई दिल्ली: थोड़ा वक्त ज़रूर लगा लेकिन आखिरकार कोरोना के ज़हर का इलाज ढूंढ ही लिया गया है. अब ये इलाज अपने अंतिम दौर पर पहुँच गया है जिसको पार करने के बाद ये कोरोना के मरीजों की जान लेने वाले संक्रमण की जान ले लेगा.
कोरोना को हराने वाले चार दवाइयां
ये इलाज आ रहा है चार दवाइयों की शक्ल में जिन्होंने दुनिया में अलग अलग स्थानों पर कोरोना के मरीज़ों को ठीक किया है. डब्ल्यूएचओ ने इनका चयन किया है और अब ये परीक्षण के अंतिम दौर पर हैं. आशा की जा रही है कि बहुत जल्द ही कोरोना की प्राणघाती ये दवाएं बाजार में आ जाएंगी और दुनिया के दिलों की धड़कनें सामान्य हो सकेंगी.
सबसे पहले रेमडेसिवीर
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा चयनित इन चार दवाओं में सबसे पहली दवा है रेमडेसिवीर. इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि सबसे शक्तिशाली दवा है ये जिसे जिलीड साइंसेज ने इबोला के इलाज के लिए बनाया था. रेमडेसिवीर की खासियत ये है कि ये किसी भी वायरस के RNA को तोड़ देती है. उसके बाद संक्रामक वायरस मानव शरीर के भीतर घुसकर नए वायरस पैदा नहीं कर पाता.
दूसरी हैं क्लोरोक्विन और हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन
कोरोना के खात्मे के लिए तैयार दूसरी दो दवाएं हैं क्लोरोक्विन और हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन. अभी कुछ दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी क्लोरोक्वीन के बारे में कहा था कि यह दवा कोरोना के खिलाफ गेम चेंजर साबित हो सकती है. हालांकि डब्ल्यूएचओ के वैज्ञानिकों ने पहले इस दवा को अस्वीकार कर दिया था. किन्तु अब उन्हीं वैज्ञानिकों की समिति ने क्लोरोक्विन और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन को महा-परीक्षण के योग्य माना है.
ये दोनों दवाएं मानव शरीर के भीतर जा कर उस कोशिका के अंदरूनी हिस्से को खत्म कर देता है, जिसपर वायरस का हमला होता है. इसके बाद कोरोना वायरस के बाहरी सतह पर बने हुए प्रोटीन के कांटों को निष्क्रिय कर देता है जो कि वायरस को कमज़ोर करने में बड़ी भूमिका निभाता है
तीसरी है कालेत्रा
कोरोना के खिलाफ उम्मीदवार तीसरी दवाओं के नाम हैं रिटोनावीर और लोपिनावीर. इनका प्रचिलित नाम कालेट्रा भी है. यह वह विशेष शक्तिशाली दवा है जो वर्ष 2000 में एचआईवी के प्रसार को रोकने के लिए अमेरिका में किया गया था. इस दवा की खासियत ये है कि ये शरीर में तेजी से घुल जाती है.
इन दोनों दवाओं में इस्तेमाल का फर्क है. यदि संक्रमण हल्के स्तर का है तो रिटोनावीर का उपयोग किया जाता है, और यदि संक्रमण अधिक हो तो लोपिनावीर को उपयोग में लाया जाता है. ये दवाएं शरीर के भीतर जाकर में वायरस के हमले वाले स्थान पर पहुँचती हैं और वहां वायरस और मानव कोशिका के मध्य संबंध को तोड़ डालती है.
चौथी है मिश्रण वाली दवा
कोरोना की संहारक इस चौथी दवा का निर्माण रिटोनावीर/लोपिनावीर और इंटरफेरॉन-बीटा को मिला कर किया जाता है. यह विशेष का मिश्रण. इस विशेष मिश्रण से निर्मित दवा का उपयोग सऊदी अरब में उस समय हुआ था जब वहां मेर्स (मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम -MERS) नामक महामारी के संक्रमित मरीजों पर किया गया था.
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हालांकि इस दवा से शरीर के टिश्यू को कुछ नुकसान पहुंचता है किन्तु यह वायरस का प्रभाव को खत्म करने में कारगर है.
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