सिंगापुर में समलैंगिक संबंध अब नहीं होगा अपराध, सरकार ने खत्म किया कानून

सिंगापुर ने समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखने वाले कानून को खत्म करने का फैसला किया है. इस संबंध में सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने कहा कि सिंगापुर की सरकार औपनिवेशिक युग के उस कानून को खत्म करने के लिए तैयार है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 22, 2022, 04:09 PM IST
  • सिंगापुर में समलैंगिक यौन संबंध अब अपराध नहीं
  • सरकार खत्म करेगी ब्रिटिश काल का बनाया गया कानून
सिंगापुर में समलैंगिक संबंध अब नहीं होगा अपराध, सरकार ने खत्म किया कानून

नई दिल्ली: सिंगापुर में समलैंगिक यौन संबंध बनाना कानूनी रूप से अपराध नहीं माना जाएगा. सिंगापुर ने समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखने वाले कानून को खत्म करने का फैसला किया है. इस संबंध में सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने कहा कि सिंगापुर की सरकार औपनिवेशिक युग के उस कानून को खत्म करने के लिए तैयार है, जो पुरुषों के बीच सहमति से यौन संबंध को अपराध मानता है. 

क्या कहा सिंगापुर के प्रधानमंत्री ने

ली ने रविवार को वार्षिक राष्ट्रीय दिवस रैली में अपने भाषण के दौरान कहा, "सरकार धारा 377ए को निरस्त करेगी और पुरुषों के बीच सेक्स को अपराध की श्रेणी से बाहर कर देगी. मेरा मानना है कि यह करना सही है और कुछ ऐसा है जिसे अब अधिकांश सिंगापुरवासी स्वीकार करेंगे। यह कानून को वर्तमान सामाजिक रीति-रिवाजों के अनुरूप लाएगा और मुझे आशा है कि समलैंगिक सिंगापुरियों को कुछ राहत मिलेगी."

इससे पहले थी दो साल की सजा

बता दें कि, सिंगापुर में समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखा जाता था. डीपीए समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, सिंगापुर की धारा 377ए पुरुषों के बीच समलैंगिक संबंधों को घोर अपराध की श्रेणी में रखती है, जिसमें 2 साल तक की सजा का प्रावधान है. 

अग्रेजों द्वारा बनाया गया था कानून

बता दें कि औपनिवेशिक साशन काल के दौरान यह कानून अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था. सिंगापुर के प्रधानमंत्री ने कहा कि, कानून को निरस्त करने से हमारे सामाजिक मानदंडों में भारी बदलाव नहीं होगा और सरकार विवाह की संस्था को बनाए रखने और सुरक्षित रखने के लिए काम करती रहेगी. कानून के तहत, सिंगापुर में केवल एक पुरुष और एक महिला के बीच विवाह को मान्यता दी जाती है. सरकार का विवाह की परिभाषा बदलने का कोई इरादा नहीं है."

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