चीन और पाकिस्तान ने मिलकर हजारों को किया तबाह, ग्वादर में धरने पर महिलाएं

जब 2002 में ग्वादर बंदरगाह का उद्घाटन किया गया था तो लोगों को बताया गया कि ये परियोजनाएं प्रांत को ही नहीं, बल्कि पूरे पाकिस्तान को बदल देंगी.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 1, 2021, 09:26 PM IST
  • जानिए कैसे बदल गई लोगों की किस्मत
  • कई दिनों से चल रहा है प्रदर्शन
चीन और पाकिस्तान ने मिलकर हजारों को किया तबाह, ग्वादर में धरने पर महिलाएं

नई दिल्लीः पाकिस्तान के ग्वादर में बुधवार को 17वें दिन भी महिलाओं और बच्चों समेत हजारों लोगों ने स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने और 'ट्रॉलर माफिया' को खत्म करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी रखा. यह जानकारी डॉन की रिपोर्ट में दी गई.

धरना जारी रखने की धमकी
जमात-ए-इस्लामी के एक स्थानीय नेता मौलाना हिदायत-उर-रहमान के नेतृत्व में चल रहे ग्वादर को हुकूक दो तहरीक (ग्वादर आंदोलन को अधिकार दें) में ग्वादर, तुर्बत, पिश्कन, जमरान, बुलेदा, ओरमारा और पासनी के प्रदर्शनकारी हिस्सा ले रहे हैं. उन्होंने मांगें पूरी होने तक धरना जारी रखने का संकल्प लिया है.

वादा था- तस्वीर बदल जाएगी
इससे पहले, रहमान ने कहा कि जब 2002 में ग्वादर बंदरगाह का उद्घाटन किया गया था और फिर जब चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) पर काम शुरू हुआ, तो ग्वादर के लोगों को बताया गया कि ये परियोजनाएं प्रांत को ही नहीं, बल्कि पूरे पाकिस्तान को बदल देंगी.

लेकिन बदल गई तकदीर
रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा, "लेकिन ग्वादर के निवासियों के पास पानी, बिजली, शिक्षा, चिकित्सा उपचार की सुविधा या रोजगार नहीं है और न ही उनका सम्मान किया जा रहा है. बलूचिस्तान पर सीपीईसी का एक पैसा भी खर्च नहीं किया गया. इसके बजाय हमें शव मिले.

ये हैं लोगों की मांग
रहमान ने कहा कि प्रदर्शनकारी बलूचिस्तान सरकार से रोजगार के अवसर नहीं मांग रहे हैं, बल्कि उनके पास पहले से मौजूद आजीविका के साधन- मछली पकड़ने के लिए सुरक्षा की मांग कर रहे हैं. "संघीय व प्रांतीय सरकारें और प्रभावशाली लोग ट्रॉलर माफिया को संरक्षण दे रहे हैं. उन्होंने मांग की, "हमें आजीविका कमाने की अनुमति दो, हमें सम्मान दो.

 कहा गया था कि इससे प्रतिदिन 20,000 गैलन पीने का पानी उपलब्ध होगी. मगर नमक निकालकर 20 गिलास शुद्ध पानी भी उपलब्ध नहीं कराया गया है." उन्होंने कहा कि इस परियोजना पर एक अरब रुपये खर्च किए गए थे.

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