इजरायली हमले में मारे गए हसन नसरल्लाह की लेबनान में छवि कैसी, शियाओं के लिए उसके होने के मायने क्या थे?

लेबनान के चरमपंथी समूह हिजबुल्ला का सरगना हसन नसरल्लाह इजरायली हमले में मारा गया है. 64 वर्षीय नसरल्लाह ने 2006 में इजरायल के खिलाफ हिजबुल्ला के युद्ध का नेतृत्व किया था. हसन नसरल्लाह की लेबनान और शिया लोगों के बीच कैसी छवि है. उसके होने के क्या मायने थे.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 28, 2024, 09:45 PM IST
  • आतंकी समूहों के साथ मजबूत किया गठबंधन
  • दुकानों तक में दिखाई देती हैं नसरल्लाह की तस्वीरें
इजरायली हमले में मारे गए हसन नसरल्लाह की लेबनान में छवि कैसी, शियाओं के लिए उसके होने के मायने क्या थे?

नई दिल्लीः लेबनान के चरमपंथी समूह हिजबुल्ला को पश्चिम एशिया में एक शक्तिशाली अर्धसैनिक एवं राजनीतिक ताकत में तब्दील करने में अहम भूमिका अदा करने वाला संगठन का सरगना हसन नसरल्लाह इजरायली हमले में मारा गया है. 64 वर्षीय नसरल्लाह ने 2006 में इजरायल के खिलाफ हिजबुल्ला के युद्ध का नेतृत्व किया था. उसी के नेतृत्व में समूह पड़ोसी देश सीरिया के क्रूर संघर्ष में शामिल हुआ था.

नसरल्लाह ने 1992 में इजराइली मिसाइल हमले में अपने पूर्ववर्ती की मौत के बाद हिजबुल्ला की कमान संभाली थी और तीन दशक तक संगठन का नेतृत्व किया. उसके नेतृत्व संभालने के पांच साल बाद अमेरिका ने हिजबुल्ला को आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था. 

आतंकी समूहों के साथ मजबूत किया गठबंधन

नसरल्लाह को उसके समर्थक करिश्माई और निपुण रणनीतिकार मानते थे. उसने हिजबुल्ला को इजरायल के कट्टर दुश्मन के रूप में परिवर्तित किया और ईरान के शीर्ष धार्मिक नेताओं और हमास जैसे फलस्तीनी आतंकवादी समूहों के साथ गठबंधन को मजबूत किया. वह अपने लेबनानी शिया अनुयायियों का आदर्श था. साथ ही अरब और इस्लामी जगत के लाखों लोगों के बीच सम्मानित था. 

दुकानों तक में दिखाई देती हैं नसरल्लाह की तस्वीरें

नसरल्लाह को सैय्यद की उपाधि दी गई थी जो एक सम्मानजनक उपाधि थी जिसका उद्देश्य शिया धर्मगुरु के वंश को दर्शाना था, जो इस्लाम के संस्थापक पैगम्बर मुहम्मद तक जाती है. नसरल्ला की छवि लेबनान भर में समूह के गढ़ के पोस्टर-बैनर दिखाई देती है. विशेष रूप से दक्षिणी बेरूत में जहां हिजबुल्ला का मुख्यालय है. उसकी तस्वीर न केवल लेबनान में बल्कि सीरिया और इराक जैसे देशों में भी दुकानों में दिखाई देती है. 

इजरायल के डर से छिपकर भी रहा नसरल्लाह

ताकतवर होने के बावजूद नसरल्ला अपने जीवन के अंतिम वर्षों में इजराइली हमले के डर से अधिकतर समय छिपकर रहा और सैटेलाइट मोबाइल फोन से तकरीर दी. नसरल्लाह के नेतृत्व में हिजबुल्ला ने 2006 में 34 दिनों के युद्ध के दौरान इजरायल के साथ गतिरोध की स्थिति पैदा कर दिया था. उसे उस युद्ध का नेतृत्व करने का श्रेय दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप 18 साल के कब्जे के बाद 2000 में दक्षिणी लेबनान से इजरायली सैनिकों की वापसी हुई. 

सबसे बड़े बेटे की इजरायल के साथ लड़ाई में हुई थी मौत

नसरल्लाह का सबसे बड़ा बेटा हादी 1997 में इजरायली सेना के खिलाफ लड़ाई में मारा गया था. सीरिया में 2011 में जब लड़ाई शुरू हुई तो नसरल्लाह ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर असद के बलों का साथ दिया. नसरल्लाह नौ भाई-बहनों में सबसे बड़ा था और उसका जन्म बेरूत के उत्तरी उपनगर शारशाबूक में एक गरीब परिवार में हुआ था. 

हिजबुल्लाह का संस्थापक सदस्य था नसरल्लाह

वह 16 साल की उम्र में इराक के पवित्र शिया शहर नजफ गया, जहां ईरान की 1979 की इस्लामी क्रांति के नेता दिवंगत अयातुल्ला खुमैनी उस समय निर्वासन में रहते थे और धर्म की शिक्षा देते थे. बाद में नसरल्लाह ने कौम शहर में पढ़ाई की थी. नसरल्लाह हिजबुल्ला के संस्थापकों में से एक था. पार्टी का गठन ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड के सदस्यों द्वारा किया गया था, जो 1982 की गर्मियों में इजरायली सेना से लड़ने के लिए लेबनान आए थे. 

नसरल्ला के परिवार में उसकी पत्नी फातिमा यासीन, तीन बेटे जवाद, मोहम्मद-महदी और मोहम्मद अली और एक बेटी जैनब हैं. साथ ही कई पोते-पोतियां भी हैं.

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