नई दिल्ली: स्विटजरलैंड के दावोस में 'वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का सम्मेलन' चल रहा है. कारोबार और अर्थव्यवस्था पर बातचीत हो रही है. लेकिन पाकिस्तान को इन सब से कोई मतलब नहीं. भले ही पाकिस्तान में खाने के लाले पड़े हों. लेकिन उसकी दिखावे वाली चिंता कश्मीर की है.
कश्मीर पर फिर गिड़गिड़ाए इमरान नियाजी
दावोस में अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच बातचीत हुई. इस बातचीत में इमरान खान ने कश्मीर पर घड़ियाली आंसू बहा दिए और ट्रंप से एक बार फिर मामले में दखल देने की बात कही.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस दौरान कहा कि 'बिल्कुल भारत हमारे लिए बड़ा मुद्दा है. हमें हमेशा से उम्मीद रही है कि अमेरिका इसे हल करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है क्योंकि दूसरा कोई भी देश नहीं कर पाएगा.'
हालांकि डॉनल्ड ट्रंप ने कहा कि वो पाकिस्तान के साथ कारोबार पर बात कर रहे हैं लेकिन उनके लिए कश्मीर को लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच रिश्ता भी अहम मुद्दा है. ट्रंप ने कहा कि वो कश्मीर पर करीब से नजर बनाए हुए हैं और वो इस मामले में मदद करने को तैयार है.
हर बार दुनिया के सामने रोता है पाकिस्तान
इमरान खान तो कश्मीर राग छेड़ते ही रहते हैं लेकिन ये पहली बार नहीं है जब कि ट्रंप ने कश्मीर का जिक्र किया है. इससे पहले कम से कम चार बार वो कश्मीर में मध्यस्थता का प्रस्ताव रख चुके हैं. पिछले साल सितंबर में डॉनल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से अलग इमरान खान से मुलाकात के दौरान और बाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कश्मीर पर मध्यस्थता की पेशकश की थी.
23 सितंबर, 2019 को अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप मे कहा था कि 'प्रधानमंत्री मोदी के साथ हमारे बहुत अच्छे संबंध हैं, प्रधानमंत्री खान के साथ भी हमारे अच्छे संबंध हैं और अगर किसी भी समय वो कहते हैं तो मैं बहुत अच्छा मध्यस्थ साबित हो सकता हूं. लेकिन भारत ने हमेशा कहा है कि कश्मीर द्विपक्षीय मामला है. किसी तीसरे देश के दखल की इसमें कोई जरूरत नहीं है.'
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जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. लेकिन इमरान खान चाहे जितना जोर लगा लें. चाहें जितना मर्जी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर मुद्दे को उठा लें. लेकिन कश्मीर मुद्दे पर भारत का रुख अटल था, अटल है और अटल ही रहेगा.
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