आतंकवाद से जंग में आये साथ भारत, अमेरिका और चीन

ये बहुत बड़ी खबर है आतंकिस्तान के लिए और दुनिया में जहां-जहां भी जिहादी आतंकवाद चल रहा है उनके लिए ये समाचार अशुभ भी है..क्योंकि विश्व की ये तीन महाशक्तियां अगर एक हो गईं तो नेस्तोनाबूद हो जाएगा जिहाद भी और आतंकवाद भी धरती के सीने से !!  

Last Updated : Feb 20, 2020, 01:59 PM IST
    • आतंकवाद से जंग में आये साथ भारत, अमेरिका और चीन
    • एफएटीएफ में भारत के साथ आये दुनिया के देश
    • चार माह बाद फिर होगी समीक्षा
    • पाकिस्तान को डाला जा सकता है ब्लैक लिस्ट में
आतंकवाद से जंग में आये साथ भारत, अमेरिका और चीन

 

नई दिल्ली. आतंकवाद को लेकर वर्ष 2020 एक ऐतिहासिक शुरुआत करने जा रहा है. दुनिया के तीन देश जो आतंकवाद और जिहादी मानसिकता से त्रस्त हैं, इसके खिलाफ जंग में साथ आ गए हैं. अब आतंकवाद के खिलाफ भारत, चीन और अमेरिका के साथ-साथ होने की घोषणा ने पाकिस्तान, तुर्की और सीरिया जैसे देशों में बैठे आतंक के काले चेहरों पर आतंक की रेखाएं ज़रूर खींची होंगी.

 

एफएटीएफ में भारत के साथ आये दुनिया के देश

पेरिस में चल रही है फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में अब ये तय हो गया है कि आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई न करने वाले पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखा जाएगा.  इस बैठक में चीन ने पाकिस्तान का साथ छोड़ कर  भारत, अमेरिका, सऊदी अरब और यूरोपीय देशों का साथ दिया और सबने मिल कर पाकिस्तान से कहा कि उसे टेरर फंडिंग और आतंकी सरगनाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी ही पड़ेगी. 

चार माह बाद फिर होगी समीक्षा

पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट वाले सजायाफ्ता वजूद पर जून में फिर से समीक्षा की जायेगी. फिलहाल तो है कि पाकिस्तान का एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रहना पक्का हो गया है जिसकी औपचारिक घोषणा 21 फरवरी को हो सकती है. एफएटीएफ की जून में होने वाली बैठक में पाकिस्तान सरकार द्वारा टेरर फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी सरगनाओं के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई की गहन समीक्षा की जायेगी. अगले चार महीनों में अगर पाकिस्तान ने एफएटीएफ की मांगों को पूरा नहीं किया तो उसे ग्रे से निकाल कर ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा. 

 

पाकिस्तान & तुर्की पड़े अकेले 

चीन द्वारा पाकिस्तान का साथ छोड़ना दुनिया को हैरान करने वाली घटना है. अभी तक FATF की हर मीटिंग में चीन ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने की मांग की थी. लेकिन इस बार ये नहीं हुआ. कोरोना से घिरे चीन पर यह अमेरिका और भारत के साथ ही यूरोप और खाड़ी देशों खासकर सऊदी अरब का दबाव भी हो सकता है. 

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