नई दिल्ली. वास्तव में भारत के लिये यह सम्मानजनक बात होगी और फिर से विश्वगुरू बनने की दिशा में उठते भारत के कदमों के लिये एक मील का पत्थर होगा. जिस डब्ल्यूएचओ में चीन, अमेरिका, फ्रान्स, जर्मनी और इंग्लैन्ड जैसे देशों का सिक्का चलता है, उसमें अब भारत नेता की भूमिका में पहली बार नजर आने वाला है अगले ही महीने.
वार्षिक सम्मेलन में लीडर होगा भारत
चीनी वायरस से अब तक दुनिया में दुनिया में करीब दो लाख लोगों की जानें जा चुकी हैं और दुनिया भर में लगभग उन्तीस लाख लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. पहले ही कोरोना संकट के इस दौर में भारत दूसरे देशों की मदद करके वैश्विक मार्गदर्शक और मित्र की बड़ी भूमिका निभा रहा है. इसके बाद अब दुनिया भारत को एक और बड़ी भूमिका में देखने वाली है. अगले माह विश्व स्वास्थ्य संगठन का वार्षिक सम्मेमलन आयोजित किया जाना है जहां दुनिया के कई बड़े देश चियर लीडर बने बैठे होगे, भारत की भूमिका लीडर की होगी.
कोरोना ने दिया है भारत को अवसर
डब्ल्यूएचओ वैश्विक संगठन कहने भर के लिये है, मूल रूप से वह बड़े देशों के दबाव में काम करता रहा है. अमेरिका के आरोप के बाद अब सारी दुनिया को समझ में आ गया है कि चीन इस अंतर्राष्ट्रीय संगठन को अपनी मर्जी से चलाता है. इस बात से ही नाराज हो कर अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ से अपनेआप को अलग कर लिया है. और अब यह अवसर है जब भारत इसमें बड़ी भूमिका निभाये क्योंकि कोरोना पर तुलनात्मक विजय के बाद भारत और चीन दो सर्वोच्च विश्व शक्तियां अब इस वैश्विक संगठन को आगे बढ़ा सकती हैं.
भारत लेगा जापान का स्थान
जापान का एक वर्षीय कार्यकाल मई में खत्म होने वाला है जिसके बाद 22 मई को विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड की पहली बैठक में विश्व स्वास्थ्य महासभा के सम्मेलन के उपरान्त भारत को प्रमुख पद प्रदान किया जायेगा. संयुक्त राष्ट्र का यह स्वास्थ्य संगठन जिस समय दुनिया में कोरोना महामारी को रोकने के लिये संघर्ष कर रहा है, भारत की डब्ल्यूएचओ के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति की जा रही है.