इंडो-ईरान मैत्री के परिदृश्य में विदेश मंत्री का ईरान दौरा

भारत और ईरान के संबंध मजबूत करने और द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में हो रही है भारतीय विदेश मंत्री की ईरान यात्रा   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 22, 2019, 05:59 PM IST
    • विदेश मंत्री का ईरान दौरा
    • दो दिवसीय है दौरा
    • तेल-चाबहार पोर्ट के मुद्दे हो सकती है वार्ता
    • अपने ऐतिहासिक संबंधों के 'पुराने गौरव' को फिर से हासिल करके साथ चल सकते हैं - मोदी
इंडो-ईरान मैत्री के परिदृश्य में विदेश मंत्री का ईरान दौरा

नई दिल्ली. तेल को लेकर भारत का प्रमुख आयातक मित्र देश है ईरान. हालांकि अमेरिका और ईरान शत्रुता भारत के गले की फांस हमेशा से बनी रही है लेकिन भारत और ईरान के संबंधों की अतरंगता को इस बात का श्रेय जाता है कि अमेरिकी त्रिकोण की खटपट के बावजूद दोनों देशों के रिश्ते कभी खतरे में नहीं पड़े.

दो दिवसीय है दौरा 

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का यह दो दिवसीय ईरान दौरा है. इस दौरे की संभावना पिछले कई महीनों से बन रही थी किन्तु राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली कुछ महत्वपूर्ण गतिविधियों के परिदृश्य में ये दौरा टलता आ रहा था. तेहरान में भारतीय विदेश मंत्री संयुक्त आयोग की बैठक में भाग लेंगे. विदेश मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी के साथ भी विदेश मंत्री की वार्ता सम्भव है.  

चाबहार पोर्ट और तेल के विषयों हो सकती है वार्ता 

पिछले वर्ष 2018 में भारत ने ईरान के साथ चाबहार पोर्ट विकसित करने का समझौता किया था जिसमें  600 करोड़ रु. का विनिवेश होना है. इस मुद्दे को आगे बढ़ाते हुए  द्विपक्षीय वार्ता हेतु जयशंकर अपने ईरानी समकक्ष जावेद जरीफ से तेहरान में मुलाक़ात करेंगे. यहां से विदेश मंत्री ओमान जाएंगे और वहां  ओमान के साथ भारत सामुद्रिक व्यापार में सहयोग समेत कई समझौतों पर हस्ताक्षर होने हैं. 

ऐतिहासिक संबंधों के 'पुराने गौरव' के साथ फिर चल सकते हैं -मोदी

भारत-ईरान संबंधों पर पीएम मोदी ने भी कहा था कि अब दोनों देशों के पुरातन गौरवशाली संबंधों को वापस लाने का समय आ गया है. भारत और ईरान के बीच के पुराने सांस्कृतिक संबंधों को ध्यान में रखते हुए हमें ये भी स्मरण रखना होगा ये वह समय है जब दोनों देश कई 'उतार-चढ़ाव' का गवाह रहे हैं. 

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