नई दिल्ली. पिछले कुछ सालों से देखा जा रहा है कि पाकिस्तान में नोटों की संख्या काफी बढ़ती जा रही है. इस बार जब पाकिस्तान का वित्तीय वर्ष जब 30 जून, 2020 को पूरा हुआ था तब देखा गया कि इस मुल्क में पिछले आठ सालों में नोटों के चलन में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है. कमाल ये देखिये कि सिर्फ एक वित्तीय वर्ष में ही पाकिस्तानी नोटों की संख्या में 1.1 ट्रिलियन की बढ़त हो गई है.
असामान्य है ये बढ़त
आर्थिक विशेषज्ञों की मानें तो पाकिस्तान में नोटों की इस तरह की बढ़त सामान्य नहीं है और पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ने वाला है. विशेषज्ञ कहते हैं कि यदि पाकिस्तान में नोटों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है तो इसका अर्थ ये है कि सरकार ने पुराने नोटों को नए नोटों के साथ बदल दिया है. साथ ही समानांतर रूप से नए नोटों की छपाई भी बड़ी तादात में हुई है.
डिमांड और सप्लाई का बैलेंस है ये
विशेषज्ञ कहते हैं कि मार्केट में डिमांड और सप्लाई के बीच संतुलन बहुत आवश्यक है. इसलिए आमतौर पर इस संतुलन के लिए नए नोटों को छापा जाता है, जिससे नोटों की संख्या में थोड़ी बढ़ोत्तरी तो होती है. परन्तु यदि नोटों की संख्या में असाधारण बढ़त हुई है तो इसका अर्थ ये है कि बड़ी तादात में नोटों की छपाई हुई है.
डिजिटल लेन-देन के दौर में हुआ है ऐसा
गौर करने वाली बात ये है कि पाकिस्तान में बाजार में चल रहे नोटों की संख्या में बढ़त इस वक्त देखी जा रही है जब डिजिटल लेन-देन और ई-कॉमर्स का चलन बाज़ार में बढ़ रहा है. कोरोना संक्रमण की वजह से भी देखा जा रहा है कि ऑनलाइन बैंकिंग और डिजिटल लेन देन और भी अधिक बढ़ गया है.
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