नई दिल्लीः कोरोना ने पश्चिमी देशों की बुरी तरह कमर तोड़ रखी है. मौत की रफ्तार तेजी से बढ़ती जा रही है. इसी के साथ संक्रमित लोगों की संख्या में भी बड़ा इजाफा हो रहा है. कुल मिलाकर हालात यह हैं कि जरूरी वस्तुओं की खपत बढ़ी है और इस वक्त भारत समेत कई अन्य देशों में भी उत्पादन नहीं के बराबर हो रहा है. बल्कि अब तो मेडिकल उपकरणों की भी भारी कमी पड़ने लगी है. ब्रिटेन कोरोना की वजह से कई क्षेत्रों में बुरी तरह जूझ रहा है.
अस्पतालों में नहीं है बॉडी बैग
ब्रिटेन में कोरोना संक्रमण के कारण मरने वालों की संख्या 10,612 हो गई है. ब्रिटेन में मौत की रफ़्तार इतनी तेज़ है कि अस्पतालों के पास शव को रखने के लिए बॉडी बैग तक नहीं बचे हैं. उन्हें बेड शीट में ही लपेटकर रखा जा रहा है.
इन बेड शीट के अंदर भी किसी तरह की कोई प्लास्टिक या और कपड़े का इस्तेमाल भी नहीं हो रहा. केवल एक चादर में ही शव को लपेटा जा रहा है.
ब्रिटेन की स्वास्थ्य व्यवस्था की कड़ी आलोचना
अंतिम संस्कार को अंजाम देने वाले द डिसीज़्ड मैनेजमेंट एडवायज़री ग्रुप (DMAG) ने ब्रिटेन में सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की कड़ी आलोचना की है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले महीने पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (PHE) ने कहा था कि शवों को ले जाने के लिए बॉडी बैग की जरूरत नहीं है क्योंकि मरने के बाद वायरस ख़त्म होने लगता है. \
लेकिन, DMAG ने PHE को लिखे पत्र में कहा है कि मरने के बाद भी शरीर में ये वायरस 48-72 घंटों तक ज़िंदा रहता है.
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अंतिम संस्कार करने वालों में भी संक्रमण का खतरा
इससे बाकी लोगों में भी संक्रमण का ख़तरा बढ़ रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस हालात को देखते हुए अंतिम संस्कार से जुड़े उन लोगों में भी संक्रमण का ख़तरा बढ़ रहा है, जो तमाम अस्पतालों और शव घरों से मृतकों को लाकर उनका अंतिम संस्कार करते हैं.
थ ही अन्य लोगों को भी वायरस अपनी चपेट में ले सकता है.
रेफ्रीजरेटर में भी 3 दिन तक सक्रिय रहता है वायरस
रिसर्च में सामने आया है कि ये वायरस रेफ्रीज़रेटर में भी 3 दिन तक सक्रिय रहते हैं. लोगों का कहना है कि यह स्थितियां केवल एक अस्पताल में नहीं हैं, बल्कि बहुत स ऐसे हॉस्पिटल हैं, जहां बॉडी बैग खत्म होने की समस्या है. ब्रिटेन में संक्रमण के कारण मरने वालों की संख्या 10,612 हो गई है.
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