अब हांगकांग पर भारत का समर्थन मांगा चीन ने

चीन एक तरफ जहां हांगकांग के लोकतंत्रवादी प्रदर्शनकारियों को कुचलने की तैयारी में नजर आता है वहीं लद्दाख में भारत के साथ सीमा-विवाद कर रहा यही चीन बेशर्मी के साथ हांगकांग को लेकर बनाये अपने नए कानून पर भारत का समर्थन भी मांग रहा है..  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 23, 2020, 09:46 AM IST
    • भारत से हांगकांग को कब्जाने की दिशा में समर्थन मांगा चीन ने
    • कहा - 'पृथकतावादी' ताकतों पर काबू पाना है
    • चीन ने कहा कि ये हमारा 'अंदरूनी' विषय है
    • संसद में पास कराया क़ानून चीन ने
अब हांगकांग पर भारत का समर्थन मांगा चीन ने

नई दिल्ली.  चीन की बेशर्मी देखिये अपनी विस्तारवादी नीति के तहत अपने हर पड़ौसी के साथ विवाद करने वाला यह जहरीला ड्रैगन अपनी ऐसी ही एक नई कोशिश पर समर्थन मांग रहा है.  चीन ने हांगकांग के लिये नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून बनाया है. अब इस विवादास्पद कानून को लागू करते समय वह उम्मीद कर रहा है कि दुनिया के देश उसका समर्थन करेंगे.

 

कहा - पृथकतावादी ताकतों पर काबू पाना है

चीन दुनिया के देशों से हांगकांग को लेकर किये अपने विवादास्पद फैसले पर भारत एवं अन्य देशों से  समर्थन मांग रहा है. इस पर अपनी कैफियत चीन यह दे रहा है कि उसका लक्ष्य इस पूर्व ब्रिटिश कॉलोनी में 'पृथकतावादी' ताकतों पर नियंत्रण करना है. चीन का मानना है कि हांगकांग के लोकतांत्रिक नागरिक चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा एवं संप्रभुता के लिए 'गंभीर' खतरा पैदा कर रहे हैं.

चीन ने कहा कि ये हमारा अंदरूनी विषय है 

हांगकांग पर कार्रवाई को तैयार चीन ने पहले ही किसी भी भावी अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया को खारिज करने की अपनी कोशिश पहले ही तैयार कर ली है और इसके लिए उसने अपने नए मसौदा कानून के कारणों को स्पष्ट करते हुए भारत तथा दुनिया के दूसरे बड़े देशों को पत्र लिख कर उनका समर्थन माँगा है. अहम् बात ये है कि हांगकांग को अपना विशेष प्रशासनिक क्षेत्र बताते हुए चीन ने वहां राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने को देश का अंदरूनी विषय करार दिया है.

 

संसद में पास कराया क़ानून चीन ने 

हांगकांग पर कब्जा जमाने की अपनी जहरीली मंशा से चीन ने हाल ही में अपनी संसद में हांगकांग में विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का मसौदा पेश किया था. हांगकांग की की क्षेत्रीय स्वायत्तता एवं निजी स्वतंत्रता पर यह पिछले एक दशक में सबसे बड़ा प्रहार है. 1997 में इसे अंग्रेजों ने चीन को सौंप दिया था और यहां तब से 'एक देश दो विधान' चल रहा है.

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