नई दिल्ली. आस्ट्रेलिया चाहे कहे या न कहे, इस समय सबसे बड़ा उसका शत्रु चीन ही है और यह हरकत चीन की ही हो सकती है. ऑस्ट्रेलिया पर हुए इस बड़े साइबर हमले से एक बात और ज़ाहिर हुई है कि अब भारत और अमेरिका जैसे चीन के दूसरे बड़े दुश्मन देशों को भी इन हमलों का निशाना बनाया जा सकता है.
सरकार ने शुरू कराई जांच
ऑस्ट्रेलिया में पहली बार इस तरह का साइबर हमला देखा गया है. इतने व्यापक स्तर पर इस तरह पहले कभी सरकारी संस्थानों को निशाना नहीं बनाया गया है. फिलहाल इस हमले के लिए जिम्मेदार किसी व्यक्ति या गिरोह की जानकारी नहीं मिल स्की है किन्तु सरकार ने बड़े पैमाने पर इसके लिए जांच शुरू कर दी है क्योंकि ये भी माना जा रहा है कि इसके पीछे किसी देश की ऑस्ट्रेलिया को नुक्सान पहुंचाने की मंशा हो सकती है.
प्रधानमंत्री ने कहा विदेशी हमला है
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मानते हैं कि यह एक साजिश के तहत किया गया साइबर आक्रमण है. प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन का कहना है कि ऑस्ट्रेलियाई निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों को लक्षित करके हुए ये साइबर हमले किसी विदेशी संस्था द्वारा करवाया गया है. पीएम ने इसे लक्षित आक्रमण करार दिया और सभी ऑस्ट्रेलियाई संगठनों को सी विषय पर अहम सलाह दी है ताकि वे अपनी सुरक्षा के लिए उचित कदम उठा सकें.
बोरिस जॉनसन से हुई बात
पीएम मॉरिसन ने बताया कि उन्होंने ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से इस बारे में बात की है इसके अतिरिक्त वे संबंधित अधिकारियों से लगातार इस बारे में जानकारी ले रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा एजेंसियां अपने सहयोगियों और साझेदारों के साथ मिलकर इस महत्वपूर्ण विषय की विशेष जांच में लग गई है.
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