पहली बार किसी पाकिस्तानी नेता ने माना बलूचिस्तान कर रहा आजादी की मांग, कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक ने कही बड़ी बात

Pakistan News: पाकिस्तानी कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर का एक बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने इस बात को स्वीकार किया है कि बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तान से असंतुष्ट हैं और वे आजादी की मांग कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो यह पहली बार है जब पाकिस्तान के किसी राजनीतिक पार्टी के नेता इस बात को स्वीकार किया है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 28, 2024, 01:02 PM IST
  • गायब हो रहे लोगों के मुद्दे पर रखी बात
  • अनवारुल हक काकर पर लगते रहे हैं आरोप
पहली बार किसी पाकिस्तानी नेता ने माना बलूचिस्तान कर रहा आजादी की मांग, कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक ने कही बड़ी बात

नई दिल्लीः Pakistan News: पाकिस्तानी कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर का एक बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने इस बात को स्वीकार किया है कि बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तान से असंतुष्ट हैं और वे आजादी की मांग कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो यह पहली बार है जब पाकिस्तान के किसी राजनीतिक पार्टी के नेता इस बात को स्वीकार किया है. 

गायब हो रहे लोगों के मुद्दे पर रखी बात 
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो अनवारुल हक काकर ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि बलूचिस्तान में असंतोष की जड़ एक अलग बलूच पहचान है. इस दौरान अनवारुल हक काकर ने बलूचिस्तान में जबरन गायब हो रहे लोगों के जटिल मुद्दे पर भी अपनी बात रखी और इस मामलों को सुलझाने पर ध्यान केंद्रित करने के महत्व पर जोर दिया. 

अनवारुल हक काकर पर लगते रहे हैं आरोप
बता दें कि पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत अनवारुल हक काकर पर बलूचिस्तान में स्वतंत्रता-समर्थक और राजनीतिक दल आरोप लगाते रहे हैं कि बलूच आंदोलन के दमन में उनकी भी पूरी सहभागिता रही है. इसके अलावा बलूचिस्तान से गायब लोगों के परिजनों के खिलाफ बल प्रयोग करने का भी आरोप लगता रहा है. 

पहली बार किसी नेता ने स्वीकारी बात 
बता दें कि ये पहली बार है जब पाकिस्तान के किसी बड़े राजनीतिक पार्टी के नेता ने इस बात को स्वीकार किया है. बलूचिस्तान पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक पाक पीएम का यह बयान पिछली पाकिस्तानी सरकारों से एक अलग दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो बलूचिस्तान स्वतंत्रता आंदोलन और अल्पसंख्यकों की चिंता को दिखाता है. इससे पहले किसी भी नेता ने आजादी के मांग को नहीं स्वीकारा था. 

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