नई दिल्ली. एसएसएफ के जवानों को हिमाचल प्रदेश से लगी भारतीय सीमा पर तैनात किया जा रहा है. और यहीं तैनाती के लिये चल कर जा रहे इन लड़ाकों का स्वागत किया यहां के तिब्बती लोगों ने. फिर देखने को मिला एक तरफ देशप्रेम का जज़्बा और दूसरी तरफ देशभक्ति का भाव. भारत के जांबाज़ लड़ाकों का हौसला बढ़ाया तिरंगा लिये तिब्बतियों ने और भारत-चीन सीमा पर तैनात होने जा रहे इन एसएसएफ के जवानों का रास्ता रोक कर उन्होंने किया सलाम !
एसएसएफ के हैं ये जांबाज लड़ाके
जिन भारतीय जवानों का रास्ता रोक कर उनको सलाम करके उनका हौसला तिब्बतियों ने बढ़ाया है, वे जांबाज़ लड़ाके हैं एसएफएफ (SFF) के. 1962 के चीन-भारत युद्ध के बाद ही एसएसएफ का गठन किया गया था. यह चीन को टक्कर देने के लिए खासतौर पर बनाई गई एक गुप्त यूनिट थी जिसमें तिब्बतियों और गोरखाओं को भर्ती किया जाता है.
स्पेशल फ्रंटियर फ़ोर्स है ख़ास
एसएसएफ अर्थात स्पेशल फ्रंटियर फ़ोर्स ख़ास तौर पर चीनी बौनों को ठोंकने के लिए तैयार की गई है. स्पेशल फ्रंटियर फोर्स में उन लड़ाकों को शामिल किया जाता है जिनके सामने दुश्मन ज़रा सी देर में पनाह मांगने लगता है. सामने से आप अनुमान नहीं लगा सकते कि कद-काठी में सामान्य से दिखने वाले इन जवानों के भीतर किस कदर जूनून और जज़्बा भरा हुआ है और कितनी जबरदस्त ट्रेनिंग के बाद चीते की फूर्ति और बाघ की ताकत समेटे ये भारतीय लड़ाके आज यहां देश की सीमा पर तैनात होने जा रहे हैं.
देशभक्ति के साथ कृतज्ञता का भाव
मां भारती की रक्षा के लिए सैकड़ों की संख्या में जब स्पेशल फ्रंटियर फोर्स के ये वीर जवान बेख़ौफ़ अंदाज़ में चलते हुए जा रहे थे तो इन्हें देख कर किसी के भी दिल में राष्ट्र-अभिमान का भाव जागृत हो सकता था. ऐसे में हाथों में तिरंगा लहराते तिब्बतियों ने इनका रास्ता रोक कर जब इनके हौसले को सलाम किया तब उनके सलाम में देशभक्ति भी थी और देश के इन जवानों के प्रति कृतज्ञता का भाव भी था.
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