शेख हसीना को फिर 'अपनों' ने दिया है धोखा? केवल आर्मी नहीं कर सकती तख्तापलट!

sheikh hasina coup story: क्या इस बार शेख हसीना के तख्तापलट में किसी 'अपने' ने कोई भूमिका निभाई है. क्या शेख हसीना का कोई नजदीकी या उनके मंत्रिमंडल के किसी सदस्य का इस तख्तापलट के पीछे हाथ है? 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 6, 2024, 03:40 PM IST
  • पहले भी अपनों ने दिया घोखा.
  • पिता मुजीब की भी हुई थी हत्या.
शेख हसीना को फिर 'अपनों' ने दिया है धोखा? केवल आर्मी नहीं कर सकती तख्तापलट!

नई दिल्ली. बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके परिवार ने देश के निर्माण में बड़ी कुर्बानी दी है. इसी कुर्बानी की वजह से शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान को बांग्लादेश का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है. लेकिन 1971 में बांग्लादेश को मुक्ति वाहिनी सेना के जरिए पाकिस्तान के चंगुल से मुक्त कराने वाले शेख मुजीबुर्रहमान को बुरी तरह मौत के घाट उतार दिया गया था. दुखद बात यह कि बांग्ला भाषा के आधार पर नया देश बनवाने वाले शेख मुजीब आंदोलन के बाद महज चार साल और जिंदा रहे. साल 1975 में उन्हें उनके पूरे परिवार सहित मार दिया गया था. उस वक्त भी शेख हसीना और उनकी छोटी बहन की जान जाते-जाते बची थी. दरअसल दोनों बहनें उस वक्त जर्मनी में थीं.

पार्टी के लोगों ने दिया था धोखा
उस वक्त शेख हसीना के परिवार के खिलाफ पनपी नाराजगी के पीछे केवल सेना नहीं थी. दरअसल शेख मुजीब की पार्टी अवामी लीग के कई नेताओं ने इस सामूहिक हत्याकांड को अंजाम देने में भूमिका निभाई थी. उस वक्त शेख मुजीब, उनकी पत्नी समेत तीन बेटों और दो बेटियों की हत्या की गई थी. कुल 36 मौतें हुई थीं. ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या इस बार शेख हसीना के तख्तापलट में किसी 'अपने' ने कोई भूमिका निभाई है. क्या शेख हसीना का कोई नजदीकी या उनके मंत्रिमंडल के किसी सदस्य का इस तख्तापलट के पीछे हाथ है? पहले का इतिहास तो इस बात का संदेह पैदा करता है. 

खोंडाकर मुस्ताक अहमद का घोखा
शेख मुजीब के परिवार की हत्या में वाणिज्य मंत्री खोंडाकर मुस्ताक अहमद का हाथ था. मुजीब की हत्या के बाद खोंडाकर बांग्लादेश के नए राष्ट्रपति बन गए थे. उन्होंने मुजीब के हत्यारों की 'सूरज के बेटे' कहकर तारीफ की थी. इसके अलावा मुजीब के सभी करीबी मंत्रियों को जेल में डाल दिया था. हालांकि खोंडाकर ज्यादा दिनों तक अपने पद पर नहीं रह पाए थे. महज तीन महीने बाद ही एक और तख्तापलट में खोंडाकर को सत्ता से हटा दिया गया था. यह तख्तापलट बांग्लादेशी सेना ने किया था. 

षड्यंत्र का हिस्सा ताहिरुद्दीन
इसके अलावा मुजीब सरकार में मंत्री रहे ताहिरुद्दीन ठाकुर का भी षड्यंत्र में हाथ था.  साल 1996 में ठाकुर को शेख मुजीब की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. हालांकि इस मामले में वो बाद में बरी हो गए थे. ठाकुर बांग्लादेशी अखबार डेली इत्तेफाक में पत्रकार रहे थे. शेख मुजीब के नजदीकी रहे ठाकुर का भी 1975 के षड्यंत्र में हाथ बताया जाता था. 

क्या इस बार भी नजदीकी ने दिया धोखा?
इस बार के तख्तापलट में अब तक अवामी लीग पार्टी के किसी नेता का नाम सीधे तौर पर सामने नहीं आया है. अब तक तख्तापलट के आरोप सेना और बेगम खालिदा जिया पर लग रहे हैं. सबसे अहम वजह आरक्षण को लेकर आंदोलन को बताया जा रहा है. हालांकि वक्त के साथ जब इस तख्तापलट की परतें खुलेंगी तो पता चलेगा कि क्या इस षड्यंत्र के पीछे शेख हसीना का कोई करीबी भी शामिल था?

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