नई दिल्लीः जेल में बंद अपने साथियों की रिहाई की मांग कर रहे आतंकियों ने अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत को गिलगित-बाल्टिस्तान से जोड़ने वाले एक मुख्य मार्ग को अवरुद्ध कर दिया. इससे एक वरिष्ठ मंत्री और कई पर्यटक रास्ते में फंस गए. शनिवार को एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई.
अधिकारियों पर दबाव बनाने की कोशिश
सोशल मीडिया पर शुक्रवार को साझा किए गए एक ‘ऑडियो क्लिप’ में गिलगित-बाल्टिस्तान के वरिष्ठ मंत्री अब्दुल्ला बेग को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया कि वह गिलगित की ओर जा रहे थे. तभी आतंकियों ने अपने साथियों की रिहाई के लिए अधिकारियों पर दबाव बनाने के उद्देश्य से सड़क अवरुद्ध कर दी.
आतंकी हबीबुर रहमान के साथियों ने घटना को दिया अंजाम
गिलगित के कुख्यात आतंकी हबीबुर रहमान के साथियों ने शुक्रवार शाम चार बजे डायमेर स्थित चिलास के ठाक गांव में सड़क को अवरुद्ध किया. ‘डॉन’ अखबार ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी. सूत्रों ने बताया कि आतंकियों ने अपने साथियों की रिहाई की मांग की है, जिसमें नंगा पर्वत क्षेत्र में विदेशियों की निर्मम हत्या करने और डायमेर में अन्य आतंकवादी घटनाओं में संलिप्त लोग शामिल हैं.
आतंकियों की हैं दो मांगें
सूत्रों ने बताया कि जिले के राजनीतिक नेता और अधिकारी आतंकवादियों के साथ बातचीत कर रहे हैं, लेकिन पुलिस की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. बाद में, सोशल मीडिया पर सामने आये गिलगित-बाल्टिस्तान के मंत्री के एक ‘ऑडियो क्लिप’ में एक व्यक्ति को यह कहते हुए सुना गया कि कमांडर के साथ बातचीत चल रही है और उसकी दो मुख्य मांगें हैं.
उन्होंने कहा, ‘पहली मांग उसके साथियों की जेल से रिहाई है और दूसरी मांग, इस्लामी कानून लागू करना है, जिसमें महिलाओं को खेल-कूद की गतिविधियों में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं हो.’
टीटीपी की आतंकी गतिविधियां बढ़ीं
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को पाकिस्तान के सांसदों ने प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) की बढ़ती आतंकी गतिविधियों के बारे में आगाह किया, जबकि एक सांसद ने हाल में गृह मंत्रालय की ओर से प्रतिबंधित संगठन द्वारा किए जाने वाले आतंकवादी हमलों के बढ़ते खतरे के सिलसिले में जानकारी मांगी.
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सांसद रजा रब्बानी ने सार्वजनिक चिंता के मुद्दे पर सीनेट के अध्यक्ष सादिक संजरानी से कहा कि वह गृह मंत्री को टीटीपी के साथ शांति वार्ता की वर्तमान स्थिति के बारे में संसद और जनता को बड़े पैमाने पर विश्वास में लेने का निर्देश दें.
गृह मंत्रालय ने हाल में टीटीपी के साथ बातचीत रुक जाने या उसके गुटों द्वारा आतंकवादी हमलों के बढ़ते खतरे को लेकर आगाह किया था. उन्होंने कहा, ‘लोगों को यह जानने का अधिकार है कि समूह के साथ किन परिस्थितियों में बातचीत हुई और यह किस बिंदु पर समाप्त हुई तथा देश को किन खतरों का सामना करना पड़ रहा है.’
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