Sri Lanka ने चीन को सुनाया, अपनी विदेश नीति का फायदा नहीं उठाने देंगे

श्रीलंका में हाल ही में राष्ट्रपति बने गोटाबय राजपक्षे ने चीन पर निशाना साधते हुए एक बयान दिया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि हम किसी भी देश को अपना फायदा नहीं उठाने दे सकते हैं. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 26, 2020, 08:21 AM IST
    • राष्ट्रपति राजपक्षे ने दिया बड़ा बयान
    • चीन की हरकतों से वाकिफ है श्रीलंका
    • ''हमारी विदेश नीति है तटस्थ''
    • ''शान्ति स्थापित रहनी चाहिए''
Sri Lanka ने चीन को सुनाया, अपनी विदेश नीति का फायदा नहीं उठाने देंगे

नई दिल्ली.   भारत विस्तारवादी नहीं है न ही अशान्तिप्रिय है. दक्षिण एशिया में ही नहीं सारी दुनिया में विस्तारवाद और अशान्तिप्रियता के लिए जाने जाने वाला एक ही देश जिसे कहते हैं चीन. श्रीलंका का यह नकारात्मक बयान मूल रूप से चीन के लिए ही है. धोखेबाज चीन के साथ दोस्ती से दुश्मनी ही भली है, ये बात दुनिया के देशों की समझ में आ रही है क्योंकि चीन हमेशा दोस्ती की आड़ में पीठ पर छुरा भोंकता आया है.

''हमारी विदेश नीति है तटस्थ'' 

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबया राजपक्षे ने बिना किसी देश का नाम लिए कहा है कि हम हिन्द महासागर में किसी को अपनी विदेश नीति के माध्यम से फायदा नहीं उठाने देंगे. उन्होंने कहा कि श्रीलंका की विदेश नीति तटस्थ है और तटस्थ ही रहेगी.  राजपक्षे ने कहा कि हिन्द महासागर के सभी देशों को यह सुनिश्चित करना है कि इस क्षेत्र में कोई देश किसी और का फायदा न उठा सके

चीन की नीयत से वाकिफ है श्रीलंका 

श्रीलंका जानता है कि हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर तक चीन घुसपैठ की कोशिश कर रहा है. सारी दुनिया देख रही है कि हिंद महासागर में पनडुब्बियों से और दक्षिण चीन सागर में सैन्य बेसों पर चीन ने अपनी सक्रियता जरूरत से ज्यादा बढ़ाई है. शक्ति-संतुलन हेतु अमेरिका को क्षेत्र में अपने जंगी जहाज तैनात करने पड़ गए हैं. इस स्थिति में राजपक्षे का यह बयान चीन के लिए स्पष्ट संदेश है जो अवश्य ही चीन को समझ में आ गया होगा. 

''शान्ति स्थापित रहनी चाहिए''

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबया राजपक्षे ने आते ही बड़ा बयान दे कर ये भी जता दिया कि श्रीलंका सुप्त देशों वाला व्यवहार नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि श्रीलंका तटस्थ है और किसी से उसका लेनादेना नहीं है और उसकी चाहत है कि क्षेत्र में शांति स्थापित रहे. देश की विदेश नीति की दिशा समझाते हुए राजपक्ष ने स्पष्ट किया कि हिंद महासागर में आर्थिक रूप से अहम कई समुद्री गलियारे हैं, हमें उनका ध्यान रखते हुए आपसी सहयोग को महत्व देना है और ये भी सुनिश्चित करना है कि कोई और देश फायदा न उठा सके.

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