नई दिल्ली. कोरोना वायरस की दवा बनाने की दिशा में ये अपने-आप में एक हैरान करने वाली कोशिश है. इसमें उन लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित किया जायेगा जिनको संक्रमण नहीं है फिर उन लोगों की मदद से की जायेगी कोरोना के उपचार की दवा. लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है कि कोरोना दवा निर्माण की इस प्रक्रिया को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी स्वीकृति प्रदान की है.
इसे माना जा रहा है विवादित ट्रायल
इस विवादित ट्रायल पर काफी लंबे समय से डॉक्टरों की दुनिया में बहुत बहस होती रही है. लेकिन अब जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस विवादित ट्रायल को अपना समर्थन प्रदान कर दिया है तो इस दवा से उम्मीद लगाने की वजह पैदा हो गई है और अब इसे विवादित ट्रायल नहीं माना जा रहा है.
वालंटियर्स की सेवा ली जायेगी
इस प्रक्रिया में तमाम वालंटियर्स की आवश्यकता हुई है. इन वालंटियर्स का पूरी तरह स्वस्थ होना आवश्यक है क्योंकि स्वस्थ होने के बाद ही इनको संक्रमित करके अस्वस्थ किया जायेगा. वॉलंटियर करने वाले लोगों को पहले ही सावधान करने के बाद ही उनकी इस प्रक्रिया में भागीदारी की स्वीकृति ली जायेगी कि इस प्रक्रिया के दौरान उनके गंभीर रूप से बीमार पड़ने का खतरा भी बना रहेगा.
ये है नौजवानों का चैलेन्ज ट्रायल
विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि स्वस्थ वालंटियर्स को कोरोना संक्रमित कराने से कोरोना की वैक्सीन तैयार करने की प्रक्रिया में तेजी आएगी औऱ इसी कारण संगठन द्वारा इसे नैतिक रूप से भी उचित मान लिया गया है. इस चैलेन्ज ट्रायल में सिर्फ अठारह से तीस साल के नवयुवकों को ही शामिल किया जा रहा है.
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